शिवराज के पुत्र कार्तिकेय बोले- आज हमारे नेता के सामने दिल्ली भी नतमस्तक

 

जीतू पटवारी ने कसा तंज- यह डर अच्छा है

सीहोर। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा सीट से छठवीं बार 8 लाख से भी अधिक मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज करते हुए सांसद चुने जाकर दिल्ली पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्र में कृषि मंत्री बनाया है। इसके बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया, जिससे अब यह सीट रिक्त हो गई और यहां उपचुनाव होगा। इधर, शुक्रवार को शिवराज के बेटे कार्तिकेय चौहान सीहोर के भैरुंदा में एक बार फिर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे और यहां पर उन्होंने पिता की प्रचंड जीत पर जनता का आभार जताते हुए ऐसा बयान दिया, जिसकी चहुंओर चर्चा हो रही है।

मुख्यमंत्री नहीं तो और ज्यादा लोकप्रिय शिवराज

भैरुंदा में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में कार्तिकेय ने कहा कि दुनिया ने हमारी बहुत परीक्षा ली है। मैं आपमें, मुझमें और केंद्रीय मंत्री शिवराज जी में कोई फर्क नहीं देखता हूं। हम सब कई जिस्म और एक जान हैं। पहले हमारे नेता जब मुख्यमंत्री थे, तब भी लोकप्रिय थे।
लेकिन, पता नहीं आजकल ऐसा क्यों लगता है कि अब मुख्यमंत्री नहीं रहे तो और ज्यादा लोकप्रिय हो गए हैं। अब जब इतनी प्रचंड जीत के बाद गए हैं, तो पूरी दिल्ली भी नतमस्तक है। पूरी दिल्ली आज उन्हें जानती है, पहचानती है, उनका सम्मान करती है।

देश के बड़े नेताओं में शुमार

कार्तिकेय ने आगे कहा कि दिल्ली ही नहीं, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के सबसे बड़े नेताओं की गिनती की जाती है तो हमारे नेता शिवराज सिंह चौहान की गिनती होती है। 2023 के चुनाव में कई उंगलियां उठीं। कहा गया कि सरकार बनाना मुश्किल है, लेकिन उन्होंने ऐसे विपक्षी और बुद्धिजीवियों को मुंहतोड़ जवाब देने का काम किया।
कार्यकर्ता सम्मेलन के इस मौके पर कार्तिकेय की मां साधना सिंह भी उनके साथ रहीं। वहीं, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

दिल्ली डर रही, यह अच्छी बात – जीतू

इधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कार्तिकेय के इस बयान पर तंज कसा है। शिवराज जी के युवराज कह रहे हैं कि दिल्ली डर रही है! यह 100 प्रतिशत सच है!
क्योंकि, देश भी डरे हुए तानाशाह को गौर से देख रहा है। डर पार्टी के अंदर असहमति की आवाज का। डर बड़े नेताओं की बगावत का। डर गठबंधन के प्रबंधन का।
डर समर्थन की सरकार के गिरने का। डर टिकी हुई कुर्सी के हिलते हैं हुए पांवों का। यह मत सोचिए कि शिवराज जी की विरासत में कोई बच्चा है, लेकिन, यह जरूर देखिए कि यह डर अच्छा है!