खुसूर-फुसूर अभियान को लेकर प्रशासनिक मुखिया की चिंता

दैनिक अवन्तिका\ब्रह्मास्त्र उज्जैन

खुसूर-फुसूर

अभियान को लेकर प्रशासनिक मुखिया की चिंता कुपोषण के साथ ही छोटे बच्चों में होने वाली बिमारियों और उसके कारण बाल मृत्यु दर को काबू में करने के लिए दस्तक अभियान चलाया जाना है। 25 जून से इसकी जिले में शुरूआत होगी। करीब दो माह तक यह अभियान जिले में चलेगा। इसके तहत बच्चों का वजन हिमोग्लोबिन की जांच सहित बच्चों में बहुत कुछ दल आकर घर पर देखेगा। एक पूरा सर्वे होगा । एक फार्मेट के तहत बच्चे की जानकारी भरी जाएगी। जिसमें राष्ट्रीय मापदंड के तहत बच्चे की स्थिति सामने आएगी। यह अभियान भविष्य की हमें सहारा देने वाली पीढी के लिए चलाया जा रहा है। जन जागरूकता के कारण ही बाल मृत्यू दर हमारे काबू में नहीं आ पा रही है। अभियान को लेकर जिले के प्रशासनिक मुखिया ने विकास खंडों में सर्वे करने वाली एएनएम,आशा, आंगनवाडी कार्यकर्ताओं सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के समक्षअपनी चिंता इस जिले के नवनिहालों के लिए व्यक्त की है। उनकी चिंताजनक शब्दों से ये साफ हो रहा है कि सर्वे में कोताही बरती जाती है। यही नहीं हमारे अपने बच्चों को लेकर हम सजग नहीं हैं। बच्चों को स्वस्थ्य रखना पालकों की जिम्मेदारी होती है । आज के बच्चे कल का भविष्य हैं उनसे जुडे मामलों को लेकर सभी को बहुत ही गंभीर होना चाहिए और उनसे संबंधित सभी कामों को गंभीरता और सजगता के साथ किया जाना चाहिए। खुसूर-फुसूर है कि प्रशासनिक मुखिया के शब्दों ने प्रशिक्षण में ही यह जता दिया है कि बच्चों के इस अभियान में अगर उन्होंने कोई गडबडी पकड ली तो फिर चाहे कोई भी हो उसकी खैर नहीं है। उनके शब्दों में उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें मालूम है कि किस-किस स्तर पर लापरवाही होती है और कैसी –कैसी लापरवाही की जाती है। उन्होंने पहले ही चेता दिया है कि क्रास वेरिफिकेशन करवाया जाएगा।