इस बार के सत्र में भी शिक्षकों की कमी से जूझेंगे सरकारी स्कूल, दो सौ अधिक की जरूरत है, अभी मिलेंगे सिर्फ साठ शिक्षक
जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या’ ऊँट के मुंह में जीरा ’
उज्जैन। जिले के सरकारी स्कूल इस नये शैक्षणिक सत्र में भी शिक्षकों की कम से जुझेंगे। हालांकि अभी महज साठ से सत्तर शिक्षकों की ही भर्ती प्रक्रिया चल रही है जबकि शहर सहित पूरे जिले के सरकारी स्कूलों में करीब दो सौ से अधिक शिक्षकों की जरूरत है। परंतु शिक्षा विभाग के ही जिम्मेदार अफसर कहते है कि अभी जितने मिल जाए उतने ही सही। ताकि शिक्षकों की कमी कुछ
हद तक दूर तो होगी।
सत्यापन चल रहा है
स्कूली शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों का सत्यापन का काम शुरू किया गया है। फिलहाल इनकी संख्या साठ से अधिक नहीं है। बताया गया है कि इसके तहत पदों की गणना सभी सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के नामांकन के आधार पर स्कूलवार पद पोर्टल पर प्रदर्शित किए गए हैं। इन्हीं पदों के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी। शिक्षा पोर्टल से स्कूलवार संबंधित शिक्षक वार परीक्षण किया जाएगा। कई सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं, लेकिन अब विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी। अतिशेष होने पर दूसरे स्कूलों में शिक्षकों को पदस्थ किया जाएगा। वहीं प्रदेश के कई स्कूलों में पदस्थ शिक्षक विभागीय कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। अब ऐसे शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति जिस विभाग में है, वहीं से उनको वेतन दिया जाएगा और स्कूलों में पद रिक्त मानते हुए नवीन पदस्थापना की जाएगी। जिससे की शिक्षण व्यवस्था प्रभावित नहीं हो।
स्कूली शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों का सत्यापन का काम शुरू किया गया है। फिलहाल इनकी संख्या साठ से अधिक नहीं है। बताया गया है कि इसके तहत पदों की गणना सभी सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के नामांकन के आधार पर स्कूलवार पद पोर्टल पर प्रदर्शित किए गए हैं। इन्हीं पदों के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी। शिक्षा पोर्टल से स्कूलवार संबंधित शिक्षक वार परीक्षण किया जाएगा। कई सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं, लेकिन अब विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी। अतिशेष होने पर दूसरे स्कूलों में शिक्षकों को पदस्थ किया जाएगा। वहीं प्रदेश के कई स्कूलों में पदस्थ शिक्षक विभागीय कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। अब ऐसे शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति जिस विभाग में है, वहीं से उनको वेतन दिया जाएगा और स्कूलों में पद रिक्त मानते हुए नवीन पदस्थापना की जाएगी। जिससे की शिक्षण व्यवस्था प्रभावित नहीं हो।
ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों की कमी बहुत अधिक
स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारी भी यह स्वीकार करते है कि विशेषकर ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों की कमी बहुत अधिक है। कई बार तो यह स्थिति बन जाती है कि यदि कोई शिक्षक छुट्टी पर रहता है तो उसकी जगह कोई दूसरा शिक्षक पढ़ाने के लिए तैयार नहीं रहता है क्योंकि पहले से ही उस शिक्षक के पास चार-पांच विषय होते है। हालात यह हो जाते है कि जब तक संबंधित विषय का शिक्षक स्कूल नहीं आ जाता तब तक उस विषय की पढ़ाई ही नहीं हो पाती है।
जिले की स्थिति जिले में 101 शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जिनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से करीब पांच सौ से अधिक पद रिक्त पड़े हुए है। जिले में 101 शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जिनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत 1382 पदों के विरुद्ध 636 भरे हैं और 746 पद रिक्त हैं। बात 718 माध्यमिक स्कूलों की करें तो इनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत 2427 पदों के विरुद्ध 1489 भरे हैं और 938 रिक्त हैं। जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है वहां संकुल स्तर से शिक्षकों को अटैच कर और अतिथि शिक्षकों को रख कर शिक्षकों की पूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है।
जिले की स्थिति जिले में 101 शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जिनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से करीब पांच सौ से अधिक पद रिक्त पड़े हुए है। जिले में 101 शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जिनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत 1382 पदों के विरुद्ध 636 भरे हैं और 746 पद रिक्त हैं। बात 718 माध्यमिक स्कूलों की करें तो इनमें विषयवार शिक्षकों के स्वीकृत 2427 पदों के विरुद्ध 1489 भरे हैं और 938 रिक्त हैं। जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है वहां संकुल स्तर से शिक्षकों को अटैच कर और अतिथि शिक्षकों को रख कर शिक्षकों की पूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है।