चार माह से आवेदन लंबित, दिव्यांग कार्ड रिन्यूअल नहीं हुए

-जिले में दिव्यांगों की आवाज धीमी पडी सूनने वाले कमजोर हुए

 

-रेलवे ने भी फुटबाल बनाया पोर्टल बंद होने की बात कह रहे कई माह से

उज्जैन। जिले में दिव्यांगों की आवाज धीमी पड गई हैं। उनकी सूनने वाले कमजोर हो गए हैं। पिछले चार माह से लंबित आवेदनों पर दिव्यांग कार्ड रिन्यूअल नहीं किए जा रहे हैं। नए नियम बताए जा रहे हैं। 35 वर्ष से अधिक उम्र के दिव्यांगों को स्थाई प्रमाण पत्र जारी करने की अपेक्षा उन्हें चिकित्सक से जांच करवाने कर प्रमाणित करवाने का कहा जा रहा है।

जिले में दिव्यांगों के लिए मुख्यालय स्तर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिला अस्पताल में जिला दिव्यांग पूनर्वास केंद्र का संचालन करता है। इसमें पूरी एक टीम विभाग की दिव्यांगों की मदद के लिए काम करती है। इस केंद्र में प्रति मंगलवार को केंप का आयोजन किया जाता है। केंद्र पर आने वाले दिव्यांगों के यहां बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। मात्र एक बेंच के सहारे प्रति सप्ताह आने वाले दिव्यांगों की संख्या 10 गूना से अधिक होती है। केंप के दिन आने वाले दिव्यांगों को इधर से उधर भेजा जाता है यह जानते हुए भी की दिव्यांगों को इधर से उधर होने में परेशानी का सामना करना पडेगा।

पहले चेकअप करवा कर पुष्टि करवाएं-

दैनिक अवंतिका को दिव्यांगों ने मौखिक शिकायत करते हुए बताया कि 35 वर्ष से अधिक उम्र के दिव्यांगों के स्थायी कार्ड बनाए जाने का नियम है। इसके बाद भी केंद्र पर जाने पर इस उम्र से अधिक के दिव्यांगों को भी कहा जा रहा है कि पहले जाकर चिकित्सक से चेकअप करवा कर दिव्यांग की पुष्टि करवा कर लेकर आएं उसके बाद ही यहां कार्ड के लिए आएं।

अस्पताल में डाकटरों का अभाव-

दिव्यांगों का कहना था कि अस्पताल में जाओं तो कभी डाक्टर साहब मिल जाएं तो आपकी किस्मत है अन्यथा घंटों इंतजार करना पडता है। डाक्टरों की अभाव की स्थिति बराबर बनी रहती है। हाल की स्थिति में प्रतिदिन 3 से 4 दर्जन दिव्यांग प्रमाणीकरण के लिए आ रहे हैं। इसमें से कई परेशान हो नर्वस हो रहे हैं। प्रमाण-पत्र रिन्यूअल के अभाव में दिव्यांगों को कई प्रकार की परेशानी उठाना पडती है।

चार माह पूर्व आवेदन,रिन्यूअल अब तक नहीं-

कुछ दिव्यांगों ने बताया कि हमने 20 फरवरी को नवीनीकरण के लिए जिला केंद्र पर 10 रूपए शुल्क के साथ आवेदन दे दिया था। इसका पंजीयन कार्ड भी बना दिया गया। पिछले 4 माह से केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं नवीनीकरण नहीं किया गया है। हर बार कुछ नई बात बता कर रवाना कर दिया जाता है। एक तो विकलांग उपर से कितनी बार यहां के चक्कर लगाना हमें मन से और तन से तोड रहा है। रेलवे में भी सही जवाब नहीं दिया जा रहा है और यहां भी यही हालत है। एक निश्चित तारीख नहीं दी जा रही है। न ही मोबाईल काल करके ही हमें जानकारी दी जाती है।

 

रेलवे भी नहीं कर रहा रिन्यूअल-

पश्चिम रेलवे से दिव्यांगों को कार्ड दिया जाता है। इसके आवेदन की पूरी प्रक्रिया है। प्रक्रिया किए कई माह हो जाने के बाद भी रेलवे की और से दिव्यांगों के कार्ड रिन्यूअल नहीं किए जा रहे है। चक्कर पर चक्कर खाने पर जनरल टिकिट घर के पास बने दिव्यांग कार्यालय से बताया जाता है कि आवेदन का पोर्टल ही नहीं खुल रहा है। इसके चलते रेलवे के कार्ड रिन्यूअल नहीं हो पा रहे हैं।  बार –बार चक्कर लगाने पर भी कोई सूनने वाला नहीं है।

-पश्चिम रेलवे दिव्यांगों को लेक‍र बहुत ही गंभीर और सजग रहता है। हमारे स्टेशनों पर हमने उनके लिए काफी व्यवस्थाएं की है।जहां तक कार्ड रिन्यूअल का प्रश्न है उसकी मैं जानकारी लेकर बताता हुं।

-खेमराज मीणा,जनसंपर्क अधिकारी परे,रतलाम

-जिला पूर्नवास केंद्र की व्यवस्थाओं को दिखवा कर उसे व्यवस्थित कर दिया जाएगा। केंद्र पर हमारा पुरा स्टाफ है दिव्यांगों की मदद के लिए। 35 वर्ष से अधिक का स्थायी कार्ड बनाया जाना चाहिए उसे में दिखवा लूंगा। संबंधित दिव्यांग मुझसे सीधे संपर्क कर सकते हैं।

-सतीश कुमार सोलंकी, सहायक संचालक,सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग,उज्जैन