न दूध को लेकर सतर्कता न नमकीन में जले तेल उपयोग को रोक सके

-दूध और जले तेल से नमकीन निर्माण में खाद्य सुरक्षा विभाग का अधूरा काम

 

-जले तेल को बायो डीजल में उपयोग होना चाहिए उससे हो रहा नमकीन निर्माण

उज्जैन। जिले का खाद्य सुरक्षा विभाग न तो दूध को लेकर आमजन को शुद्ध दूध उपलब्ध करवाने के साथ ही विक्रय करने वालों से नियम का पालन करवा पा रहा है और न ही नमकीन निर्माताओं से जले तेल के उपयोग को रोकने में कारर्रवाई कर पा रहा है। दोनों ही खाद्य सामग्री जिले में जमकर उपयोग होती है दूध तो अत्यावश्यक में शामिल होकर बच्चों के लिए जरूरी है।

 

दूध की जांच में खाद्य सुरक्षा विभाग अधूरा काम कर रहा है। उपभोक्ता के हित संरक्षण की जानकारी के लिए न तो डेरी वाले सूचना पटल पर जानकारी अंकित कर रहे हैं और न ही टंकी से दूध बांटने वाले ही टंकी पर कुछ जानकारी अंकित कर रहे हैं। विभाग भी इसे नजरअंदाज कर रहा है। दूध की दुकान और टंकी पर फैट और न्यूट्रिशियन की जानकारी उज्जैन में ढूंढने से भी उपभोक्ता को नहीं मिल रही है।

फैट मशीन गायब-

दूधवालों को दुकान में फैट मशीन रखना अनिवार्य होना चाहिए जो कि अधिकांश डेरी से गायब है। इससे ग्राहक खूद ही  दूध में मिलावट की जांच कर सकते हैं। दुकानों में फैट मशीन रखने को लेकर आयुक्त खाद्य सुरक्षा के आदेश पर ही विभाग अमल नहीं करवा पा रहा है । उज्जैन में गिनती की दुकानों या डेरी पर ही यह मशीन मिलेगी बाकी जगह पर तो आम उपभोक्ता से पैसे पूरे लिए जा रहे हैं और दूध अधूरा दिया जा रहा है।

 

दूध के लिए ये किया जाना जरूरी –

दूध विक्रेताओं के प्रतिष्ठान में फैट (वसा) एवं एस.एन.एफ. मापक यंत्र अनिवार्य रूप से हो। दूध में फैट और एस.एन.एफ. की मात्रा को इलेक्ट्रानिक रूप से सूचना पटल पर प्रदर्शित हो। ग्राहकों की मांग पर दूध का परीक्षण कर फैट एवं एस.एन.एफ. की मात्रा बताई जाए। दूध विक्रेता / डेयरी वाले मापक यंत्र की जानकारी और ट्रेनिंग ग्राहकों को दें। घर जाकर दूध विक्रय करने वाले  मापक यंत्र साथ रखें, दूध की टंकी पर फैट और एस.एन.एफ. की मात्रा प्रतिदिन दिनांक के साथ लिखें।दूध विक्रेता दूध खरीदने और बेचने का रिकार्ड भी रखें। रेकार्ड रजिस्टर में फैट एवं एस.एन.एफ. की जानकारी अंकित हो।

 

शंका हो तो यहां करें शिकायत-

उपभोक्ता मिलावट की शिकायत टोल फ्री नंबर 1800112100 और सी.एम. हेल्पलाइन नंबर 181 पर शिकायत कर सकते हैं ।

 

जले तेल से नमकीन का निर्माण,विभाग के पास प्रकरण नहीं-

जिले में खाद्य सामग्री एवं नमकीन का निर्माण जमकर होता है। इसमें एक ही तेल को कई बार गर्म कर खाद्य सामग्री और नमकीन निर्माण किया जा रहा है। मानक के विरूद्घ निर्मित यह सस्ते दाम का नमकीन शहर में कम और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक खपाया जा रहा है। दो बार उपयोग के बाद खाद्य तेज को बायो डीजल के लिए संग्रहित किया जाने का नियम है जिसका पालन करवाने में खाद्य सुरक्षा विभाग पूरी तरह से नाकामयाब रहा है। जिले भर में 200 से ज्यादा नमकीन उत्पादक हैं। खाद्य वस्तुओं के निर्माण करने वालों की संख्या इनसे 5 गूना अधिक है हर गली मोहल्ले में समोसे, कचोरी का निर्माण कर बेचने वालों की दूकानें लगी हुई है। दो बार उपयोग के बाद तेल को बायो डीजल के लिए दिया जाना चाहिए लेकिन इससे अधिक बार तेल को गर्म कर उपयोग करते हुए आम आदमी के स्वास्थ्य से खिलवाड किया जा रहा है। खाद्य विभाग का अमला जले हुए तेल से बने नमकीन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर सका है। इसके चलते कढाई में भरे तेल को बार- बार गर्म कर कतिपय निर्माता ऐसे तेल से बना नमकीन बनाकर शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में धडल्ले से बेंच रहे हैं।बडे नमकीन व्यवसाई सामान्य नमकीन 240-260 रूपए प्रतिकिलों के भाव बेच रहे हैं। इसके विपरित ग्रामीण क्षेत्रों में और शहर के कई हिस्सों में कतिपय दुकानों पर 110-140 रूपए किलो नमकीन बेचा जा रहा है। सस्ते दर का नमकीन में जले हुए तेल को बार- बार उपयोग में लिया जाता है।