अभी सुबह ’दस’ बजे ’माननीयों’ को नहीं है आदत में शुमार…
लोग है कि मानते नहीं…’उनके’ आने के पहले ही पहुंचने लगे
भारी पड़ रहा है सरकारी कर्मचारियों को ऑफिस का नया समय
उज्जैन। भले ही सूबे की डॉक्टर मोहन यादव सरकार ने सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों को पहुंचने का समय सुबह 10 से निर्धारित कर दिया हो और शाम को भी ऑफिस में शाम 6 बजे तक रूकना जरूरी है लेकिन महसूस हो रहा है कि आदेश के दूसरे और आज तीसरे दिन भी ये नया आदेश भारी पड़ रहा है। दरअसल इसके पीछे कारण कर्मचारियों की ऑफिस में देरी से पहुंचने की आदत..!
यही कारण है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश के तीसरे दिन भी अधिकांश कर्मचारियों को अभी नया समय आदत में शुमार नहीं हो सका है। इधर आम जनता अपने कार्यों को कराने के लिए ऑफिस में जरूर नए समय पर पहुंचने लगी है लेकिन बावजूद इसके नगर निगम या बिजली विभाग जैसे कार्यालयों में यह देखा जा रहा है कि भले ही लोग दस बजे सुबह तक पहुंच रहे हो लेकिन कर्मचारी समय पर नहीं पहुंच रहे है।
गौरतलब है कि कोरोना काल में प्रदेश में पांच दिवस कार्यालय लगाने की व्यवस्था के साथ कार्यालयीन समय में जो परिवर्तन किया गया था, उसका पालन नहीं हो रहा है। कर्मचारी अधिकारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी विभागों को कार्यालयीन समय अवधि का पालन कराने के निर्देश बीते दो दिनों पहले दिए हैं। बता दें अप्रैल 2021 से कार्यालयीन समय सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक निर्धारित है लेकिन सुबह 10 बजे अधिकतर कार्यालयों में कर्मचारी व अधिकारी नहीं आते हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्ष, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे कार्यालयीन समयावधि का पालन कराएं। परंतु बावजूद इसके उज्जैन के अधिकांश कार्यालयों में देखा जा रहा है कि कर्मचारी पांच दस मिनट देरी से ही पहुंच रहे है।
11 बजे तक आते है…आधे घंटे से अधिक टी ब्रेक
बता दें कि उज्जैन के अधिकांश सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी सुबह 11 बजे के पहले आते ही नहीं है और फिर दोपहर दो बजे टी या लंच ब्रेक हो जाता है। फिर थोड़ा बहुत काम काज होता है और फिर शाम 5 बजते ही घड़ी की तरफ देखना शुरू कर दिया जाता है कि कब साढ़े पांच बजे और कब घर की तरफ रवाना होया जाए। जिन कार्यालयों में आम जनता के काम होते है
वहां तो देखने मंे आता है कि शाम 5 बजे तो टेबलों की फाइलें अलमारी के अंदर रखना शुरू हो जाती है और खुदानाखास्ता कोई व्यक्ति किसी काम के लिए संबंधित कर्मचारी के पास पहुंच भी जाता है तो उसे घड़ी दिखा दी जाती है कि अब तो पांच बज गए…इसलिए कल सुबह 11 के बाद ही आना…..नहीं तो लंच के बाद..अर्थात दोपहर 3 बजे तक…!
वहां तो देखने मंे आता है कि शाम 5 बजे तो टेबलों की फाइलें अलमारी के अंदर रखना शुरू हो जाती है और खुदानाखास्ता कोई व्यक्ति किसी काम के लिए संबंधित कर्मचारी के पास पहुंच भी जाता है तो उसे घड़ी दिखा दी जाती है कि अब तो पांच बज गए…इसलिए कल सुबह 11 के बाद ही आना…..नहीं तो लंच के बाद..अर्थात दोपहर 3 बजे तक…!