लोकायुक्त के शिकंजे में आई पीएचई की सहायक यंत्री 10 लाख का भुगतान करने के एवज में मांगी थी 60 हजार की रिश्वत

उज्जैन। लोकायुक्त विभाग ने बुधवार को 10 लाख का भुगतान करने के एवज में 60 हजार की रिश्वत लेने वाली लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग की महिला सहायक यंत्री को रंगेहाथ पकड़ा है। ट्रेप करने की कार्रवाई जल जीवन मिशन योजना का काम करने वाले ठेकेदार की शिकायत पर होना सामने आई है। लोकायुक्त एसपी अनिल विश्वकर्मा से 1 जुलाई को ठेकेदार अक्षय पाटीदार शिकायत की थी कि उससे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग की सहायक यंत्री निधी मिश्रा भुगतान पास करने के एवज में 60 हजार की रिश्वत मांगी जा रही है। एसपी ने शिकायत की पुष्टि के लिये डीएसपी राजेश पाठक को नियुक्त किया। 2 दिन बाद रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर डीएसपी पाठक टीम के साथ सहायक यंत्री को रंगेहाथ पकड़ने के लिये गऊघाट जंतर-मंतर स्थित कार्यालय पहुंचे। ठेकेदार अक्षय को रिश्वत की राशि सौंपकर निधि मिश्रा के पास भेजा गया। महिला सहायक यंत्री ने रिश्वत की राशि लेकर अपनी टेबल की ड्रॉज में रख ली। उसी दौरान लोकायुक्त टीम ने निधि मिश्रा के कक्ष में इंट्री की और उसे रंगेहाथ ट्रेप करते हुए ली गई रिश्वत की राशि को जप्त कर लिया। पुष्टि के लिये निधि मिश्रा के हाथ धुलवाए गये। जिसमें रिश्वत का रंग लगा होना सामने आ गया। लोकायुक्त टीम ने मौके पर ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का प्रकरण दर्ज करने की कार्रवाई की।
2020 में लिया था ग्रामीण क्षेत्र का काम
ठेकेदार अक्षय ने बताया कि उसने वर्ष 2020 में जल जीवन मिशन योजना में काम का ठेका लिया था। ग्राम झितरखेड़ी और कालूखेड़ी में मिशन का काम किया गया। 6 माह में काम पूरा किया जाना था। लेकिन कोरोना काल और कुछ विभागीय गड़बड़ी के चलते काम में 4 माह की देरी हो गई। वर्ष 2021 में काम पूरा करने के बाद वह अपना 10 लाख का भुगतान प्राप्त करने का प्रयास करने लगा। उसे समय में देरी होने का हवाला देकर टाला जाने लगा। वर्ष 2022-23 में भी भुगतान नहीं मिला। इस वर्ष भी प्रयास किये तो सहायक यंत्री ने फाईल आगे बढ़ाने और अधीक्षण यंत्री के नाम से 50 हजार और अपने लिये 10 हजार की डिमांड की। उसके बाद मामले की शिकायत लोकायुक्त से की गई थी।

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