प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी में 28 साल बाद मिला खरीददारों को कब्जा
कॉलोनाइजर ने अलग-अलग रजिस्ट्री कर दी, प्लाट पर इस वजह से कब्जा नहीं मिल पा रहा था
इंदौर। शहर में जमीन का एक टुकड़ा खरीदकर उस पर अपना आशियाना बनाना हर एक व्यक्ति का सपना होता है। लोग मेहनत की कमाई से पाई-पाई जोड़कर भूखंड खरीदते हैं, लेकिन जमीन के जादूगर इन लोगों के सपनों को लूट लेते हैं।
ऐसा ही सपना प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी में भूखंड खरीदने वालों ने देखा था। रामबाग निवासी चांदमल कोचर (अब स्वर्गीय) ने भी अपने लिए 3500 वर्गफीट का भूखंड उक्त कॉलोनी में 1996 में खरीदा था। कॉलोनाइजर ने अलग-अलग रजिस्ट्री कर दी। इस कारण कब्जा नहीं मिल पाया।
चांदमल ने सालों तक इसके लिए लड़ाई लड़ी। आखिरकार 2009 में उनका देहांत हो गया। उनके द्वारा संभालकर रखी गई रसीदों के आधार पर उनके बेटे आलोक कोचर ने इस लड़ाई को जारी रखा। अंतत: अब उस भूखंड का कब्जा प्रशासन ने उन्हें सौंप दिया।
आलोक का कहना है कि भूखंड के लिए रहवासी संघ के सहयोग से सालों तक लड़ते रहे। पिता का सपना आज साकार हुआ है। ऐसे ही अन्य लोगों को भी जिला प्रशासन की पहल पर भूखंड का कब्जा सौंपा गया।
प्रशासन ने लगाया शिविर
लसूड़िया मोरी, एमआर-11 स्थित प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी में शनिवार को भूखंडधारकों को कब्जा दिलाने के लिए शिविर लगाया। जूनी इंदौर एसडीएम घनश्याम धनगर के नेतृत्व में गठित दल ने दस्तावेज के आधार पर 57 भूखंडधारियों को कब्जा सौंपा। ऐसे सर्वे नंबर जिनमें विवाद नहीं है, नामांतरण की कार्रवाई चिह्नित कर भूखंड का कब्जा दिलाया जा रहा है।
90 एकड़ में विकसित की कॉलोनी
1996 से 98 के बीच करीब 90 एकड़ जमीन पर कॉलोनी विकसित की गई थी।
कॉलोनी में 3500 वर्गफीट के करीब 900 भूखंड निकाले गए थे। कॉलोनाइजर अरुण डागरिया एवं महेंद्र जैन ने कॉलोनी विकसित की थी। भूखंड खरीदने वालों को पूरी राशि देने के बाद भी मौके पर कब्जा नहीं दिया गया। कई लोगों को डबल तो कई अलग-अलग रजिस्ट्री कर दी गई थी।
100 के करीब विवादित भूखंड कॉलोनी में
प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी रहवासी संघ के उपाध्यक्ष रोहित पटेल का कहना है कि कॉलोनी में 100 के करीब भूखंड विवादित सर्वे नंबर के हैं। यहां किसानों ने फौती नामांतरण करवा लिया है। इस वजह से 45 भूखंडधारियों को भूखंड नहीं मिल रहे हैं, जबकि प्लाट धारकों के पास पहले की रजिस्ट्री मौजूद है।
कुछ प्लॉट डबल बेच दिए
20 प्लाटधारकों के प्लाट की जमीन डबल बेच दी गई। ऐसे ही कुछ अन्य डबल रजिस्ट्री के प्रकरण भी हैं। अविवादित भूखंडधारियों को वर्तमान में कब्जा सौंपा जा रहा है।