तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं भी पति से मांग सकती हैं गुजारा भत्ता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला लेते हुए कहा है कि कोई भी मुस्लिम तलाकशुदा महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारे भत्ते के लिए अपने पति के खिलाफ याचिका दायर कर सकती है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आॅगस्टिन गॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिम महिला भरण-पोषण के लिए कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर सकती हैं। वो इससे संबंधित दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये धारा सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। मुस्लिम महिलाएं भी इस प्रावधान का सहारा ले सकती हैं।

कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि मुस्लिम महिला अपने पति के खिलाफ धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है। हालांकि, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह ने अलग-अलग फैसला सुनाया, लेकिन दोनों की राय समान है।

 

कई मामलों में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता नहीं मिल पाता है या मिलता है तो भी इद्दत की अवधि तक। इद्दत एक इस्लामिक परंपरा है। इसके अनुसार, अगर किसी महिला को उसका पति तलाक दे देता है या उसकी मौत हो जाती है तो महिला इद्दत की अवधि तक दूसरी शादी नहीं कर सकती। इद्दत की अवधि करीब 3 महीने तक रहती है। ये अवधि पूरा होने के बाद तलाकशुदा मुस्लिम महिला दूसरी शादी कर सकती है।