जल जीवन मिशन के काम में सीएम का गृह जिला ही पिछड़ा, साठ प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं हो सका अभी तक
उज्जैन। जल जीवन मिशन के काम में सीएम डॉ. मोहन यादव का गृह जिला अर्थात उज्जैन ही पिछड़ा हुआ हैै। बताया गया है कि मिशन के तहत उज्जैन में महज अभी तक साठ प्रतिशत ही कार्य हो सका है। हालांकि अन्य शहरों में कार्य का प्रतिशत का आंकड़ा सत्तर से अस्सी प्रतिशत है।
निर्माण कार्यों में देरी के चलते सफल नहीं
हर घर में नल से जल का काम भले ही सरकार की प्राथमिकता में हो लेकिन इसके बाद भी उज्जैन जिले में यह काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। हालत यह है कि उज्जैन में भी अभी समय अवधि के अनुसार ठीक ढंग से काम नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री का गृह जिला ही इस योजना में पिछड़ा हुआ है शहर के दूर दराज वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का साफ पानी पिलाने के लिए सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत नल-जल योजना बनाई लेकिन यह योजना ठेकेदारों की कमी और निर्माण कार्यों में देरी के चलते सफल नहीं हो पा रही है। यहाँ पर भी वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत अब तक 68 फीसदी ही काम हुआ है। हालांकि अधिकारियों ने बैठक में अधूरे कामों को 6 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा है लेकिन अब बारिश का समय आ गया है, ऐसे में लक्ष्य तो अब 2025 के बाद ही पूरा हो पाएगा।
हर घर में नल से जल का काम भले ही सरकार की प्राथमिकता में हो लेकिन इसके बाद भी उज्जैन जिले में यह काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। हालत यह है कि उज्जैन में भी अभी समय अवधि के अनुसार ठीक ढंग से काम नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री का गृह जिला ही इस योजना में पिछड़ा हुआ है शहर के दूर दराज वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का साफ पानी पिलाने के लिए सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत नल-जल योजना बनाई लेकिन यह योजना ठेकेदारों की कमी और निर्माण कार्यों में देरी के चलते सफल नहीं हो पा रही है। यहाँ पर भी वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत अब तक 68 फीसदी ही काम हुआ है। हालांकि अधिकारियों ने बैठक में अधूरे कामों को 6 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा है लेकिन अब बारिश का समय आ गया है, ऐसे में लक्ष्य तो अब 2025 के बाद ही पूरा हो पाएगा।
उज्जैन जिले में पानी की टंकियाँ बनाने, पाइप लाइन सप्लाई और इंटेकवेल का ही काम बचा हुआ है। ऐसे में मुश्किल है कि 6 महीने में काम पूरा हो जाएगा। सबसे ज्यादा समय पानी की बड़ी टंकी बनाने में लगता है और वर्तमान में सीमेंट की टंकी बनाई जा रही है जो बनाने में बहुत समय लगता है इसको देखते हुए अब आने वाले दिनों में लोहे और जिंक तथा एल्युमिनियम की टंकी बनाने के लिए योजना बनाई गई है। इसकी कीमत भी 1 से 2 फीसदी तक कम लगती है और इसकी उम्र 25 से 30 वर्ष होने का दावा कंपनी ने किया है। ऐसे में अब आने वाले दिनों में जल जीवन मिशन के तहत जिंक और लोहे तथा एल्यूमिनियम की टंकियाँ लगाई जाएगी। कुल मिलाकर जल जीवन मिशन का काम उज्जैन जिले में ठीक ढंग से नहीं हो रहा है।