मोहन यादव ने इंदौर के सारे सूत्र मंत्री विजयवर्गीय को सोपे

 

पिछले समय की घोषणा को सीधे किया लागू

 

इंदौर। इंदौर स्वच्छता में लगातार सात बार से देश में अव्वल है। इसी के साथ पर्यावरण सुधारने के लिए आज इंदौर 11 लाख पौधे रोपकर विश्व कीर्तिमान बनाने जा रहा है। स्वच्छता और पर्यावरण के साथ-साथ इंदौर को अपराध और नशा मुक्त बनाने की कमर भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में यहां के नागरिकों ने कस ली है।
इसी दृष्टि से इंदौर में नाइट कल्चर की समाप्ति का फैसला लिया गया है। इस मामले में नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ी भूमिका निभाई है। जबकि नाइट कल्चर की शुरुआत का श्रेय सांसद शंकर लालवानी को दिया गया था।
दरअसल, इंदौर में दो साल पहले अच्छे उद्देश्य के साथ नाइट कल्चर शुरू हुआ था, ताकि रात को संचालित होने वाली आईटी कंपनी, कॉल सेंटरों के कर्मचारियों को नाश्ते, चाय व गपशप करने की सुविधा मिल सके, लेकिन नाइट कल्चर की आड़ में इंदौर में नशा कल्चर शुरू हो गया था। इसे रोक पाने में पुलिस नाकाम रही और नाइट कल्चर इंदौर में बंद हो गया।
इंदौर में शराब दुकानें रात साढ़े 11 बजे और पब व बार रात 12 बजे बंद हो जाते है। इसके बाद शराब के नशे में युवक-युवती 24 घंटे खुली रहने वाली दुकानों पर जमा हो जाते थे। इस दौरान हुड़दंग और विवाद होते थे। सस्ता नशा, ब्राउन शुगर बेचने वाले भी एमआईजी, भंवरकुआ, विजय नगर जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रहते थे। रात को होने वाले ज्यादातर विवाद नशे में हुए।
इसके बाद इस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे थे। हालांकि रात में दुकानें खुलना इस शहर की संस्कृति का हिस्सा है। सराफा चौपाटी दो बजे तक खुली रहती है। यदि बीआरटीएस पर पुलिस सुरक्षा सख्त रहती तो नई व्यवस्था को नियंत्रित तरीके से चलाया जा सकता था। 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस मार्ग पर पांच थाने लगते है।
हर थाने से एक निगरानी टीम लगाकर इस व्यवस्था पर नजर रखी जा सकती थी, लेकिन लगता है पुलिस नाकाम रही। बीआरटीएस दो सालों में 20 से ज्यादा नए रेस्त्रां खुल गए थे, जो देर रात तक चलते थे।
कई रेस्टोरेंटों में तीन शिफ्टों में काम होने लगा था, लेकिन नाइट कल्चर बंद होने के बाद कई कुक और वेटरों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। नगर के अनेक वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि बदनामी पब कल्चर के कारण होती रही। रेस्त्रां में तो देर रात तक जॉब करने वाले, पढ़ाई करने वाले छात्र आते थे। रात की शिफ्ट के लिए मैने अलग से स्टॉफ रखा था।
जिसे अब हटाना पड़ेगा। पक्ष और विपक्ष में अपने-अपने दावे हैं लेकिन व्यापक तौर पर बीआरटीएस से नाइट कल्चर की समाप्ति का स्वागत ही हो रहा है। आमतौर पर इंदौर के नागरिक नहीं चाहते थे कि इस तरह का कल्चर इंदौर में पनपे।
सराफा और राजवाड़ा पर देर रात 2 बजे तक दुकान खुली रहना अलग बात है, क्योंकि इस क्षेत्र में कोई पब नहीं है, लेकिन बीआरटीएस में पब्स की संख्या बढ़ गई थी। इससे नशाखोरी और झगड़े भी बढ़ रहे थे।