युवाओं को कम समय में अमीर बनने का लालच बना रहा अपराधी, क्रीप्टो करेंसी के जरिए बड़े फ्रॉड आ रहे सामने

 

 

 

 

मनी लांड्रिंग जेसे फ्रॉड को लेकर पुलिस – प्रशासन को होना होगा जागरूक

किराए के बैंक अकाउंट लेकर चल रहा बड़ा गोरखधंधा

इंदौर। आज इंदौर का नाम हर क्षेत्र में सबसे ऊपर माना जाता है, परंतु जैसे – जैसे बाहरी लोगो का प्रवेश शहर में हो रहा है। वैसे-वैसे कई गोरख धंधे का गढ़ इंदौर बनता जा रहा है।
इसमें सबसे ज्यादा युवाओं का इन्वॉल्वमेंट है। जिसके कारण सायबर ठगी के मामले भी दिनोदिन सामने आ रहे है।
भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित, गैर-सूचीबद्ध अंतराष्ट्रीय एक्सचेंजों के प्लेटफॉर्म्स के उपयोग पर रोक लगाने के बावजूद भी युवाओं द्वारा क्रिप्टो करेंसी में भारी मात्रा में (ट्रेडिंग) लेन-देन किया जा रहा है, जिसमे अधिकतर युवा शिक्षित और तकनीकी ज्ञान रखने वाले वर्ग से है।
अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज जैसे की बिनेंस , ट्रस्ट वॉलेट का उपयोग कर अधिकतर युवा चंद रूपयो के मुनाफे की लालच में बिना किसी कानूनी कार्रवाई के जोखिम की परवाह करे खुलेआम अनाधिकृत प्लेटफॉर्म्स पर क्रिप्टो करेंसी की (ट्रेडिंग) लेन-देन कर रहे है, जिसमे USDT नामक क्रिप्टो करेंसी प्रमुख रूप से ट्रेड की जा रही हैं।
इसका मुख्य कारण USDT का एक स्थिर मुद्रा होना है, जिसका मूल्य अमेरिकी डॉलर के साथ उतार- चढ़ाव करता है। अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज में अधिकतर ऐसे अज्ञात एक्सचेंज है जहां खरीदार / विक्रेता के फंड की वैधता को एक्सचेंज या स्वयं व्यक्ति द्वारा सत्यापित नहीं किया गया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म्स में शामिल दोनो पक्ष यानी खरीदार और विक्रेता दोनो एक दूसरे से अपरिचित रहते है एवं बिना किसी केवाईसी डॉक्यूमेंटेशन के इन अनधिकृत प्लेटफॉर्म्स पर क्रिप्टो करेंसी की (ट्रेडिंग) लेन-देन कर रहे है।

बॉक्स — इस तरह से होती है प्रकिया

क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन में बैंक खाते में ट्रांसफर होने वाली अधिकतर राशि ‘दागी फंड’ होने से यानी की अवैध एवं ठगी की गतिविधियों से आने वाली राशि होती है जैसे की यूपीआई फ्रॉड, इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड, डीमैट डिपॉजिटरी फ्रॉड, डेबिट-क्रेडिट फ्रॉड, सिम स्वैप फ्रॉड, क्रिप्टो फ्रॉड, केवाईसी एक्सपायरी फ्रॉड, क्यूआर कोड स्कैम, सेक्सटॉर्शन एवं ऐसे ही अनेक प्रकार की धोखाधड़ियो को अंजाम देकर साइबर ठग रोजाना करोड़ो रुपए कमा रहे है।
इन अपराधों में इस्तेमाल होने वाले साइबर ठगों के खाते अधिकतर उधार या किराए
पर लिए गए बैंक खाते होते है।

बॉक्स — साइबर ठगों ने निकाला बीच का रास्ता —-
अनधिकृत अंतराष्ट्रीय एक्सचेंज जो भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित एवं गैर- सूचीबद्ध है जिसका संचालन अज्ञात एवं गोपनीय सर्वर से होता है, जिसे युवाओं के द्वारा वीपीएन सर्वर का इस्तेमाल कर आसानी से उपयोग किया जा रहा है, ऐसे अनधिकृत प्लेटफॉर्म्स पर बिना किसी केवाईसी रजिस्ट्रेशन होने से अधिकतर साइबर ठग ऊंचे दामों पर क्रिप्टोकरेंसी खरीदने का ऑनलाइन विज्ञापन लगाकर पढ़े लिखे युवाओं को क्रिप्टोकरेंसी (ट्रेडिंग) लेन-देन के मुनाफे का लालच देकर उन्हें आकर्षित करते है।
साइबर ठगों द्वारा जान बूझकर बाजार मूल्य से अधिक ऊंचे दामों पर क्रिप्टोकरेंसी USDT खरीदी जाती है, जिसके एवज में साइबर ठग अपराधियों के द्वारा ‘दागी फंड’ अनजान एवं बेखबर युवाओं के खातो में ट्रांसफर कर उनसे क्रिप्टोकरेंसी USDT खरीदकर साइबर ठग अपने आपको और अपने ठगी किये हुए पैसों को सुरक्षित कर लेते है। महंगे दाम में क्रिप्टोकरेंसी USDT बेच कर चंद रूपयो के मुनाफे की लालच में अधिकतर युवा ‘दागी फंड’ की राशि को अपने खाते में ले लेते है जिससे वह साइबर पुलिस की कारवाई की चपेट में आकर अपने खाते को फ्रीज एवं विवादित राशि को खाते में होल्ड होने पर असहाय हो जाते है।

बॉक्स — खाते हो जाते है फ्रीज

उदाहरण के लिए, यदि आप किसी अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज पर क्रिप्टो बेचते हैं और ऐसे फंड प्राप्त करते हैं जो आतंकवादी या मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से आते हैं, तो आपका खाता भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा फ्रीज किया जा सकता है।
यदि आप किसी अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज पर क्रिप्टो खरीदते हैं और फंड भेजते हैं जो आतंकवादी फंडिंग/मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग किया जाता है, तो आपको इसी तरह के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। यह विभिन्न भारतीय कानूनों जैसे कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए), आदि के उल्लंघन के कारण हो सकता है।
आंतरिक सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि हर दिन लगभग 4,000 धोखाधड़ी वाले खाते खोले जाते हैं।
जिसमे सेविंग एवं करंट खातो के माध्यम से बैंक में फर्जी फर्म बनाकर और फर्जी गुमाश्ता अनुज्ञा, आइडी का इस्तेमाल कर। इसमें कार्पोरेट आइडी, फोन पे, ई-वालेट एवं बल्क अपलोड की सुविधा के माध्यम से मिनटों में ठगे रूपयो को अन्य खातों में ट्रांसफर कर लेते है। हजारों भारतीयों को प्रतिदिन टेलीफोन कॉल प्राप्त होते हैं, जिनमें उनके बैंक खातों और वॉलेट्स तक पहुंच बनाकर उनसे धोखाधड़ी करने का प्रयास किया जाता है, ताकि यह धन उन घोटालेबाजों के खातों में जमा हो जाए।
साइबर आरोपी ठगे गए पैसे प्राप्त करने के लिए ‘उधार या किराए पर लिए गए’ बैंक खातों का उपयोग करते हैं ताकि इन खातों में धोखाधड़ी का पैसा जमा किया जा सके। इन खातों के मालिक अधिकतर मजदूर और ग्रामीण वर्ग के लोग होते है जिन्हे हर लेनदेन पर कमीशन दिया जाता है। ज़्यादातर मामलों में साइबर आरोपियों के पास इस तरह के खातों के ऑनलाइन बैंकिंग विवरण से लेकर संपूर्ण बैंकिंग किट जैसे की चेक बुक, एटीएम कार्ड, खाताधारक का बैंक में रजिस्टर्ड मोबाईल नंबर तक होता है जिससे वह हर तरीके के ऑनलाइन लेनदेन करने में सक्षम होते हैं और कुछ मामलों में खाता मालिकों को खुद बैंक जाकर
खातों से नगद पैसे निकालने और अपने संचालकों को सौंपने के लिए कहा जाता है। जिसका कमीशन काटकर संचालकों द्वारा साइबर ठगों को पैसा भेजा जाता है।

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