सहकारिता चुनाव कराने  की  टूटने लगी  बंधी आस -उज्जैन के सहकारिता जगत में हलचल नहीं

उज्जैन। प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी सहकारिता चुनाव कराने की बंधी आस टूट गई क्योंकि उज्जैन के सहकारिता क्षेत्र में चुनाव को लेकर कोई हलचल नहीं दिखाई दे रही है। कुछ यही हाल प्रदेश के अन्य शहरों में भी है। गौरतलब है कि करीब ग्यारह वर्षों बाद सहकारिता चुनाव कराने का ऐलान किया गया था और इसके बाद से ही सहकारिता क्षेत्र में हलचल शुरू हो गई थी लेकिन मौजूदा हालात में हलचल दिखाई नहीं दे रही है।
सहकारिता चुनाव के हाल यह तब बने हुए हैं जबकि, हाईकोर्ट सहकारिता के चुनाव कराने के निर्देश दे चुका है। उज्जैन सहित  प्रदेश में 4534 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं, जिन पर सरकार ने प्रशासक बैठा रखे हैं। इनमें से आधी तो डिफाल्टर श्रेणी में आ चुकी हैं। सरकार ने बीते माह प्रदेश में 26 जून से 9 सितंबर के बीच चार चरणों में सहकारिता चुनाव कराने की घोषणा की थी। इससे सरकार की वाहवाही भी खूब हुई थी , लेकिन यह सब अब हवा हवाई ही साबित हुई है। तारीखों की घोषणा करते समय कांग्रेस सरकार पर सहकारिता क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए चुनाव न कराने की वजह भी पूर्व सीएम कमलनाथ की सरकार को बताया था। मगर इस बार भी सारी तैयारी कागजी और खानापूर्ति ही साबित हुई है।

न  नामांकन न चुनावों को लेकर गांव और किसानों में कोई हलचल

आजतक न प्राथमिक समितियों के लिए नामांकन शुरू हुआ है और न चुनावों को लेकर गांव और किसानों में कोई हलचल है, बल्कि सब सरकार की मंशा में ही खोट बता रहे हैं। अव्वल तो डिफाल्टर समितियों के चुनाव हो ही नहीं सकते। प्रदेश में आधी समितियां डिफाल्टर हैं। इसके चलते समितियां प्रशासक की देखरेख में ही काम करती रहेंगी और किसानों के लिए दरवाजे अभी बंद ही रहेंगे। चुनाव आखिरी बार वर्ष 2013 में हुए थे। इनके संचालक मंडल का कार्यकाल वर्ष 2018 तक था। विधानसभा चुनावों को देखते हुए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने ही इनमें प्रशासक नियुक्त कर दिए थे। फिर कांग्रेस सरकार आई तो तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने अपनी किसान कर्ज माफी योजना और लोकसभा चुनावों को देखते हुए प्रशासकों के हाथ में ही कमान रखी। उन्होंने जिला बैंकों में भी प्रशासक बैठा दिए। जैसे-तैसे लोकसभा चुनाव हुए तो सरकार किसान कर्ज माफी योजना में व्यस्त हो गई और चुनाव टाले जाते रहे। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद उपचुनाव, कोरोना के कारण चुनाव नहीं हुए। फिर 2023 के चुनाव आ गए प्रशासक ही जिला सहकारी बैंकों को मुखिया बने रहे। अब लंबे समय बाद माहौल बना था, लेकिन वह भी किसानों को मुंह चिढ़ाकर चला गया। राज्य में सहकारी संस्थाओं के चुनावों के लिए 4 चरण में मतदान कराने का कार्यक्रम जारी किया था।  इसके अनुसार 26 जून से 9 सितंबर तक इसकी प्रक्रिया चलेगी। सदस्यता सूची जारी करने के बाद 8, 11, 28 अगस्त और 4 सितंबर को मतदान होगा। मतदान के तत्काल बाद मतगणना होगी। सबसे पहले प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और विभिन्त्र संस्थाओं में भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों के चुनाव होंगे। इसके आधार पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और अपेक्स बैंक के संचालक मंडल का चुनाव होगा।