कांग्रेस शहर अध्यक्ष सुरजीत चड्डा पर अब कभी भी गिर सकती है गाज !

इंदौर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का इंदौर के कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन में आने पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई ,जिस तरह से बढ़ चढ़कर कैलाश विजयवर्गीय का स्वागत किया उस पर नाराजगी व्यक्त की है।
सूत्रों का कहना है कि इस आधार पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्डा को हटाया जा सकता है। इस मामले में कांग्रेस के सूत्र कह रहे हैं कि सुरजीत सिंह चड्डा पर कार्रवाई इसलिए भी की जा सकती है क्योंकि वो स्वर्गीय महेश जोशी के मित्र उजागर सिंह के पुत्र हैं।
अजय चौरडिया भी स्वर्गीय महेश जोशी के चेले रहे हैं। इस मामले में भोपाल में पॉलिटिकल अफेयर की गई थी। इस बैठक में कांग्रेस कार्यालय में कैलाश विजयवर्गीय के स्वागत का मुद्दा भी उठाया गया है।
बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर इंदौर शहर अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्डा पर कार्रवाई हो सकती है। वहीं पार्टी अब आरएसएस की तर्ज पर संगठन मंत्रियों की नियुक्ति करेगी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की 8 घंटे चली बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं।
इस दौरान यह भी आदेश जारी किया गया है कि पार्टी से गद्दारी करने वालों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को वापस नहीं लिया जाएगा, चाहे वो बड़ा नेता हो या फिर छोटा नेता। प्रदेश कार्यकारिणी को छोटा रखने का निर्णय भी इस बैठक में लिया गया है। कार्यकारिणी में 60 से 70 नेता ही रहेंगे।
वहीं घोटाले को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाई गई है। दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासियों के मुद्दे को मजबूती से रखा जाएगा। एमपी कांग्रेस अब आरएसएस की तर्ज पर संगठन मंत्री नियुक्त करेगी। संगठन मंत्री नियुक्त करने से पहले नेताओं की ट्रेनिंग होगी।
ट्रेनिंग में पास हुए नेताओं को संगठन मंत्री की जिम्मेदारी दी जाएगी। संगठन मंत्री होटल नहीं बल्कि कार्यकर्ता के घर पर रुकेंगे। खाना भी संगठन मंत्री कांग्रेस कार्यकर्ता के घर में खाएंगे।

इधर अब सज्जन वर्मा ने ठोर ठिकाना अपना ढूंढ लिया है।
वर्मा ने नई राजनीतिक स्थिति में खुद को ढालने का प्रयास करना शुरू कर दिया है। सज्जन वर्मा कमलनाथ कैंप के सबसे पुराने और बड़े नेता हैं। उनकी वरिष्ठता का क्रम दीपक सक्सेना के बाद आता है। दीपक सक्सेना भाजपा में है इस हिसाब से कमलनाथ कैंप के सबसे महत्वपूर्ण नेता सज्जन वर्मा हैं। छिंदवाड़ा और अमरवाड़ा की हार के बाद जिस तरह से कमलनाथ ने प्रदेश में अपनी सक्रियता कम कर दी है उससे साफ है कि वह अब राजनीति से धीरे-धीरे विदा लेने की स्थिति में हैं।
नकुलनाथ का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है, क्योंकि वो राजनीतिक प्राणी है ही नहीं। वैसे भी नकुलनाथ से सज्जन वर्मा की अच्छी केमिस्ट्री नहीं है। जाहिर ऐसी स्थिति में सज्जन वर्मा ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी की ओर हाथ बढ़ाया है। जीतू पटवारी भी उन्हें आजकल हमेशा साथ रखने की कोशिश करते हैं।
भोपाल की बैठकों में सज्जन वर्मा खुलकर जीतू पटवारी का पक्ष लेते हैं। इससे साफ है कि सज्जन वर्मा ने नए ठोर ठिकाना ढूंढ लिया है।