महाकाल सवारी का वैभव बड़े लेकिन  परंपरा, समय का भी ध्यान रखा जाए

दैनिक अवन्तिका
उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल की परंपरागत सवारी का वैभव आवश्य ही बड़ना चाहिए। लेकिन समय और परंपरा का भी ख्याल रखना जरूरी है। बाबा की पालकी निर्धारित समय पर मंदिर पहुंचे मंदिर समिति को इसका ध्यान रखना होगा। कई बार अति उत्साह और उमंगता धर्म और समाज दोनों के लिए घातक हो जाती हैं। 
यह मांग अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के सचिव पंडित किशन पांडे और संगठन मंत्री पंडित आशीष ठक्कर ने मंदिर समिति से की हैं। पंडितों ने कहा कि पहली सवारी में पालकी पर जिस तरह से भक्त भगवान के गले तक लिपट रहे थे जिससे प्रतिमा को नुकसान पहुंच सकता था। सोशल मीडिया पर सवारी में हुई अव्यवस्था के फोटो-वीडियो वायरल भी हुए। संवेदनशील स्थानों पर बेरिकेड्स नहीं होने से पुजारियों, कहारों और पुलिस जवानों को नुकसान पहुंच सकता था। भक्त जो सामग्री पालकी के पास जाकर भगवान को अर्पण करते हैं। उसकी जगह मंदिर समिति सामग्री चढ़ाने के लिए एक डलिया में एकत्रित करे और बाद में पुजारियों के जरिए उसे भगवान को अर्पित करे। जिससे पालकी और साथ चलने वाले लोगों की सुरक्षा बनी रहेगी। पालकी भी समय पर मंदिर पहुंचेगी। 

You may have missed