महापौर बोले- अभी तय नहीं…..ग्रांड होटल पर्यटन विभाग को देने का मामला

उज्जैन। नगर निगम के महापौर मुकेश टटवाल ने यह स्पष्ट किया है कि अभी ग्रांड होटल को पर्यटन विकास निगम को सौंपने का मामला पूरी तरह से तय नहीं हुआ है। हालांकि इतने संकेत जरूर दे दिए गए है कि जल्द ही इस होटल को सौंप दिया जाएगा ताकि इसे संचालित करने के लिए जो बोझ नगर निगम पर पड़ रहा है उससे दूरी हो सकेगी।

विरोध के स्वर मुखर हुए
ग्रांड होटल को अभी पर्यटन विभाग को सौंपने की तैयारी जरूर है लेकिन जैसे ही यह जानकारी सार्वजनिक हुई है तभी से इसके विरोध में स्वर मुखर होने लगे है। हालांकि निगम के सूत्र यह बताते है कि जल्द ही ग्रांड होटल को पर्यटन विभाग के हवाले कर दिया जाएगा
तो पांच होटल हो जाएंगे उज्जैन में
यदि पर्यटन विभाग ग्रांड होटल को अपने हाथों में लेता है तो विभाग के शहर में ही पांच होटल हो जाएंगे। उज्जैन का ग्रांड होटल काफी बड़ा और हेरिटेज प्रॉपर्टी है, जिसमें कई कमरों के साथ सामने इतना बड़ा लॉन है कि 1 हजार लोगों के साथ कोई भी समारोह आयोजित किया जा सकता है। हालांकि इस प्रॉपर्टी के अधिग्रहण को लेकर कई सालों से पर्यटन विभाग प्रयास कर रहा था, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विशेष रुचि उज्जैन के विकास कार्यों में होने के चलते इस काम को तेजी मिल रही है। इस संबंध में प्रमुख सचिव पर्यटन विभाग से प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को  पत्र लिखा गया है।  अधिग्रहण के बाद पर्यटन विभाग इसे रिनोवेट करने का काम शुरू करता है तो इसके रिनोवेशन में ही करीब 2 साल लग जाएंगे। विभाग इसे नए सिरे से संवारेगा। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के उज्जैन में पहले से तीन होटल मौजूद हैं, जो महाकाल महालोक बनने के बाद कभी भी खाली नहीं रहे। ये होटल अवंतिका, उज्जैनी और शिप्रा हैं। अवंतिका में 32, उज्जैनी में 33 और शिप्रा रेसीडेंसी में 43 कमरे हैं। इसके अलावा उज्जैन में उज्जैन दर्शन बस का संचालन भी पर्यटन विकास निगम कर रहा है, जो पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
महालोक के बाद रूचि जागी
बताया गया है कि जिस तरह से शहर में महाकाल महालोक बनने के बाद पर्यटकों का तांता लगा रहता है उससे पर्यटन विकास विभाग भी ग्रांड होटल का संचालन अपने हाथों में लेने में रूचि दिखा रहा है। क्योंकि शहर में विभाग के जितने भी होटल्स है वे सभी भरे हुए रहते है अर्थात विभाग को किसी तरह से घाटा नहीं हो रहा है। यही कारण है कि महाकाल महालोक बनने के बाद से ही विभाग
को ग्रांड होटल का संचालन हाथ में लेने की रुचि जागी है।

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