पाप कर्म तीर्थ करने या यमुना, गंगा में स्नान करने से नहीं धुलते- पं. शिवम

कानड़। नगर के मांगलिक भवन में बुधवार को कलश यात्रा निकालकर शिव महापुराण कथा की शुरूआत हुई। कथा के प्रथम दिन कथा प्रवक्ता पंडित शिवम तिवारी द्वारा कथा का श्रवण कर रहे श्रद्धालुओं को शिव की महिमा और महापुराण के बारे में बताते हुवे कहा कि की व्यक्ति अपने द्वारा किए गए कर्मों को भोगता है यदि श्रेष्ठ कर्म किए हैं तो उसे जीवन में हर तरह की खुशियां मिलती है यदि पाप कर्म दुष्कर्म किए हैं तो उसकी सजा उसे निरंतर सारे जीवन विभिन्न तरीके से भोगना पड़ता है यदि दुष्कर्म किए हैं तो गंगा जी जाकर चार धाम की तीर्थ यात्रा करने या गंगा जमुना में स्नान करने से उससे पाप कर्म कभी नहीं धुलेंगे अत: सत्संग ऐसा करिए जहां अच्छे कार्यों का साथ मिले। यदि आपने सत्संग अच्छा किया है तो आपके जीवन में खुशियां मिलेगी और यदि आपने बूरी संगति की है तो उसके दुष्परिणाम आप को होगें ही साथ में आपके परिवार को भी भोगना होगा आपने चंचल और ब्राह्मण भी एक सुंदर उदाहरण सुनते हुए कहा कि पत्नी चंचल सदाचारी थी धर्म कमी थी लेकिन पति दुराचारी दुष्कर्म था ऐसे में पत्नी भी उसके संग बुरे कर्मों में चली गई लेकिन पति की मृत्यु के बाद चंचल सत्संग में जाने लगी जहां उसे शिव महापुराण की कथा के माध्यम से ज्ञान मिला और उसने उसी ज्ञान के माध्यम से बुरे कर्मों को त्याग और जो उसे बुरे कर्म हुए थे उसके लिए उसने प्रायश्चित किया तो उसके सारे पाप कर्म धूल गए।