बाबा…अगला जनम मोहे वीआईपी दिजो खुसूर-फुसूर

खुसूर-फुसूर बाबा…अगला जनम मोहे वीआईपी दिजो

नागपंचमी पर्व पर बेरिकेडस के बीच से होकर ,2 किलोमीटर की चींटी की चाल चलने के बाद मंदिर के मुहाने पर खडे होकर इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं की भावना सामने आ रहे सब दृश्यों को देखने के बाद यही रही होगी की बाबा… अगला जनम मोहे वीआईपी दिजो। हाय रे व्यवस्था के मारे आमजन बेचारे। किस हाल में आम श्रद्धालु ने भगवान के दर्शन किए उसका स्वप्न भी वीआईपी बने दर्शन करने वाले देख लें तो सिहर उठें। आम श्रद्धालु को न तो पुलिस में कोई रिश्तेदार यहां था और न ही प्रशासन में कोई नातेदार था। संभवत: बाबा ने उनके करमों में ये दर्शन व्यवस्था लिख दी थी। वर्दी वाले आते गए और अपने साथ अपने सभी को लाते गए। यही हाल प्रशासनिक स्तर के रहे। ऐसा नहीं है कि अफसर इससे अंजान रहे हों । मंदिर समिति के ही कुछ जिम्मेदारों ने इसे लेकर अपने ओहदे की चिंता किए बगैर यह सब शुरूआती दौर में ही सामने रख दिया था। जवाब मिला थोडा बहुत तो होता है। इसके साथ ही पास से जो पास हुए वे असली के साथ नकली से अधिक हुए । पास कहां छपे और कितने उस पर छपाई की संख्या अंकित क्यों नहीं की गई,इसे लेकर सभी ने चुप्पी साध ली है। असली कम और नकली ज्यादा छपे। ये खेल उसी ने किया जो जानकार था यानिकी पूर्व का खिलाडी। पास मसले की जगह भस्मार्ती प्रोटोकाल के कोटे का पालन क्यों नहीं किया गया। मिडिया के लिए निर्धारित 2 घंटे बाध्यता की गई, वर्दी और प्रशासन के लिए 24 घंटों के लिए सुविधा और व्यवस्थाएं रही। एक नहीं व्यवस्था में कमियों की पूरी श्रृंखला लिखी जा सकती है। बाबा के दरबार में आम श्रद्धालु कह गया बाबा…अगला जनम मोहे वीआईपी दिजो । खुसूर-फुसूर है कि साल के कुछ दिन बाबा के दरबार में इस तरह की व्यवस्था अब एक परंपरा का रूप ले चुकी है इसके चलते अब तो ऐसे त्यौहार अवसर पर कुछ चुनिंदा लोगों के लिए ही मंदिर को आरक्षित कर दिया जाना चाहिए जिससे की पूर्व से ही आमजन को पता रहे और वो ये कहने से तो बचे की बाबा…अगला जनम मोहे वीआईपी दिजो।