रक्षाबंधन पर रहेगा विशेष मुहूर्त ,दोपहर डेढ़ बजे तक भद्रा का साया, इसके बाद मनाया जाएगा रक्षाबंधन का पर्व  इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में राखी का पर्व

दैनिक अवंतिका उज्जैन
उज्जैन। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति में आ रहा है।  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नक्षत्र विशेष का संयोग होता है, तो विशिष्ट योग की स्थिति को निर्मित करता है। ऐसे विशिष्ट योग में पर्व काल व उत्सव काल विशेष महत्व रखते हैं। इस दिन भद्रा का समय दोपहर 1.30 बजे तक रहेगा। इसके बाद रक्षाबंधन का पर्व काल मनाया जाएगा। रक्षाबंधन पर दोपहर 1.30 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक खास मुहूर्त है। विशेष मुहूर्त के साथ राखी का त्योहार मनाया जाएगा।
पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि रक्षाबंधन के संबंध में अलग-अलग प्रकार की कथाएं व्याप्त हैं। पौराणिक मान्यता में विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार की कथा आती है। राजा बलि का रक्षाबंधन का रूपक सामने आता है। इसमें धर्म स्वरूप सूत्र को रक्षा के लिए प्रतिबद्ध करने के वचन व नियम है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रहा है। मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में भद्रा पाताल वासिनी रहेगी, जो धन कारक मानी जाती है। इस दिन कोई शुभ कार्य की शुरुआत अनुकूल मानी जाती है। कुछ लोग इस दिन प्रतिष्ठान का शुरुआत भी करते हैं।
श्रावण का होगा पूजा
मान्यता है कि श्रवण नक्षत्र से श्रावण मास की उत्पत्ति मानी जाती है व श्रवण नक्षत्र के अधिपति भगवान विष्णु हैं। मालवा लोक परंपरा में दीवारों पर श्रवण के चित्र को अंकित कर विधिवत पूजन की जाती है। वहीं, धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु का श्रवण के रूप में पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु की कृपा के द्वारा घर – परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और संतान की रक्षा होती है।
इसी दिन ऋगवैदियों एवं यजुर्वेदियों का उपाकर्म होगा। वर्ष भर की ज्ञात-अज्ञात प्रायश्चित के लिए इस दिन तीर्थ पर पंचगव्य प्राशन तथा 10 विधि स्नान आदि की परंपरा है। कई बार ऐसा होता है कि रक्षाबंधन के दिन सोमवार आता है और सावन की सवारी भी उसी दिन निकलती है। इस बार भी सवारी राखी के पर्व कल में निकलेगी।

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