खुसूर-फुसूर एक कार्रवाई, दो तरफा पडी मार

दैनिक अवंतिका उज्जैन

खुसूर-फुसूर

एक कार्रवाई, दो तरफा पडी मार

मास्टर साहबों के विभाग ने  शहर में प्रशासनिक दल के साथ मिलकर जांच कर दी और कुछ स्कूलों पर जिले के प्रशासनिक मुखिया ने जुर्माना लगा दिया। प्रशासनिक हवा मिलने से पालक मजबूती में आ गया लेकिन कुछ ही दिनों में मजबूती की हवा निकल गई। स्कूलों ने जुर्माना तो नहीं भरा उलटा इस लडाई को लेकर आगे बढने का तय कर लिया। मामला राजधानी स्तर पर जाकर शिथिल हो गया। इसके बाद कतिपय स्कूलों ने फीस वृद्धि का अपना खेल जमाकर पालकों की जेब से जुर्माने से कई गुना राशि निकालना शुरू कर दिया है। मास्टर साहबों का विभाग अभी नियमानुसार स्कूलों की तीन साला फीस की स्कूटनी ही करने में लगा हुआ है। यही नहीं स्कूलों ने हर मामले में अपना हिस्सा और बढा दिया है। पहले जिस बात के 50 रूपए बच्चों से मंगाए जाते थे अब वो 100-200 के रूप में तब्दील हो चुके हैं। यहां तक की माध्यमिक शिक्षा मंडल में नामांकन पंजीयन की राशि 70 रूपए के एवज में कतिपय निजी स्कूलों में 700-1000 रूपए बच्चों से मंगाए जा रहे हैं। स्कूलों में पालकों की प्रबंधन अब सूनने को तैयार नहीं है। पहले तो और थोडी बहुत सामंजस्य का खयाल रखा जाता था अब तो सीधे सिरे से ही पालकों को और उनके मुद्दे को नकार दिया जाता है। शिकायत की बात आने पर सीधे कहा जाता है कि आप स्वतंत्र हैं। हाल यह हैं कि प्रशासनिक हवा से फूल कर गुप्पा हुआ पालक अब किधर का नहीं बचा है। हजारों रूपए फीस वृद्धि होने पर भी वह आवाज उठाने की हिमाकत करने की स्थिति में नहीं है। कतिपय स्कूलों ने तो बाद में वो सभी किताबें बच्चों से मंगवाई हैं जिन्हें लेकर नियमों का हंगामा मचाया गया और कार्रवाई की गई। मुद्दे को कसौटी पर कसना हो तो संयुक्त रूप से विभागीय दल बच्चों के स्कूल जाने के दौरान बेग खुलवाकर देख ले उनमें एनसीईआरटी की बुक के साथ स्कूल की लिस्ट के मुताबिक लेखकों एवं प्रकाशकों की पुस्तकों का बोझ भी बच्चों के कांधों पर मिल जाएगा। खुसूर-फुसूर है कि मास्टर साहबों के विभाग और प्रशासन की कार्रवाई से पालकों का आर्थिक बोझ तो बडा ही है। इसके साथ ही बच्चों के स्कूली बेग का वजन भी डेढा हो गया है।एक कार्रवाई की दो तरफा मार से पालक बीमार हो गया है।

 

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