किसानों को गेहूं की जगह सब्जी उत्पादन में ज्यादा दिखाई दे रहा फायदा

उज्जैन। चाहे प्रदेश की किसी गांव की बात कर लें या फिर चाहे जिले के उन किसानों की जो गेहूं का उत्पादन करते रहे है लेकिन जो जानकारी सामने आ रही है उसमें यह साफ पता चला है कि किसानों की रूचि अभी गेहूं उत्पादन की जगह सब्जी के उत्पादन की ओर ज्यादा है।
किसानों की यदि माने तो सब्जी उत्पादन में लागत तो कम लगती ही है वहीं फायदा भी अधिक होता है, लिहाजा यही स्थिति पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में भी दिखाई दे रही है।
दरअसल, किसानों को गेंहू की फसल की तुलना में सब्जियों की फसल में कई गुना अधिक फायदा होता है। किसानों का कहना है कि सब्जियों से अच्छी आय हो जाती है। सालभर में दस एकड़ में गेहूं उत्पादन करने में जितनी आय होती थी, उससे ज्यादा सिर्फ डेढ़ एकड़ में सब्जियों से होने लगी है। हालांकि कम होते गेंहू उत्पादन के मामले में अफसरों का अपना तर्क है। उनका कहना है कि इसके पीेछे की वजह है मौसम आने वाला परिवर्तन। इससे प्रदेश के किसानों की आय दोगुना करने सरकार के प्लान पर असर पड़ा है। उत्पादन में कमी आने के पीछे कृषि वैज्ञानिक क्लाइमेट चेंज मान रहे हैं। वहीं किसानों ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की बोवनी कर रहे हैं। गेहूं की फसल रबी सीजन में होती है। दिसंबर के आखिरी और जनवरी के पहले सप्ताह में तापमान में काफी वेरिएशन होता है। अगर न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री तक पहुंच जाता है तो गेहूं के दाने पोचे हो जाते हैं और पाले का असर भी गेहूं पर ज्यादा होता है। आमतौर पर गेहूं की फसल 110 से 120 दिन में पकती है, जबकि सब्जियों में आलू दो माह में ही तैयार हो जाता है। ऐसे में किसान एक ही अवधि में 2 बार आलू की फसल ले लेते हैं। किसान लाभ के लिए उन फसलों की ओर बढ़ रहे हैं, जिनकी कीमत गेहूं से दोगुनी रहती है। किसानों का धान की ओर रुझान बढ़ा है। सब्जी हाईब्रीड की उगाने से किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी हो रही।