मजाक बनी सीखो कमाओं योजना

भोपाल। प्रदेश में मुख्यमंत्री सीखो कमाओं योजना मजाक बन गई है। इसका उदाहरण उन युवाओं के रूप में सामने आया है जिन्हें प्रशिक्षण के बाद भी नौकरी पर नहीं रखा गया है। फिलहाल ये युवा नई नौकरी की तलाश में जुटे हुए है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में युवाओं को उनके कौशल के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने जिस सीखो कमाओ योजना की शुरुआत की थी, अब उसकी हकीकत सामने आई है। सरकारी पावर जनरेटिंग कंपनी ने 71 स्किल्ड युवाओं को कौशल बनाने के बाद किसी को पक्की तो क्या कच्ची नौकरी भी नहीं दी।

श्री सिंगाजी पावर जनरेटिंग कंपनी में साल भर पहले सीखो योजना कमाओ योजना के तहत युवाओं को इंटर्नशिप प्रोग्राम में शामिल किया था। आईटीआई, 12वीं पास युवाओं को 1 साल के लिए कंपनी में योजना के तहत रोजगार दिया था। लेकिन इसके बाद उन्हें नौकरी ही नहीं दी गई। बल्कि एक आदेश जारी कर दिया जिसमें लिखा, “आपको सूचित किया जाता है कि आपके अधिकार्यरत विद्यार्थी प्रशिक्षार्थियों की एक वर्षीय प्रशिक्षण अवधि समाप्त होने वाली है। सभी विद्यार्थी प्रशिक्षणार्थियों को एक वर्गीय प्रशिक्षण अवधि समाप्त होने के संबन्ध में सूचना करने का कष्ट करें।”मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना (MMSKY) मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना है, जिसके तहत युवाओं को औपचारिक शिक्षा के बाद, पोर्टल पर रजिस्टर्ड प्रतिष्ठानों में ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग (ओजेटी) दी जाती है। योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ हर महीने स्टाइपेंड भी मिलता है। पिछले साल युवाओं के लिए तत्कालीन शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने इसे लांच किया था। लेकिन साल भर बाद नए हितग्राहियों का चयन बंद कर दिया गया।

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