खुसूर-फुसूर पस्त पालक,मस्त संचालक

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दैनिक अवन्तिका   खुसूर-फुसूर

पस्त पालक,मस्त संचालक

शिक्षण सत्र की शुरूआत में विभाग के साथ प्रशासन ने ऐसी दहाड मारी की पालकों को लगा की अब शिक्षा के नाम पर उनका शोषण बंद होने वाला है। दहाड के साथ ही 16 स्कूलों को 2-2 लाख के अर्थ दंड दे दिया। मुगालते में आए पालकों ने निजी स्कूल प्रबंधन से पंगा भी ले लिया। फीस को लेकर पालकों को कहा गया कि नियम तीन साल में नाम मात्र का बढाने का है उसे लेकर भी पालकों ने मुगालता पाल लिया। 2-2 लाख के दंड के मामले में अपील राज्य स्तर पर निजी स्कूलों की और से कर दी गई। मामले को वहां लंबित कर यहां पालकों से मनमानी फीस वसूली शुरू कर दी गई। 2 लाख के दंड के एवज में मुगालता पाले पालकों को बढाई गई फीस के मान से 10 लाख की वसूली जारी है। पहले पालकों को लगा था कि शेर फिर जागेगा, समय के साथ पालक अब पस्त हो गए हैं और संचालक मस्त होकर वसूली में लगे हैं। पस्त पालकों को उम्मीद है कि जिस तरह से जबलपुर

 में निजी स्कूल संचालकों की फीस मामले में मनमानी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई से पालकों को बड़ी राहत मिलेगी। अवैधानिक रूप से की गई फीस वृद्धि को अमान्य कर दिया है। इनमें शहर के नामी 8 निजी स्कूल शामिल है। इसी कड़ी में निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई 54.26 करोड़ की अतिरिक्त फीस वापस करने के निर्देश दिए है। इसके अलावा सभी निजी स्कूलों पर जिला प्रशासन ने 2-2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। ऐसे ही उज्जैन में भी विभाग और प्रशासन पस्त पालकों का हौंसला बनेगा और निजी स्कूल संचालकों से उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाएगा। अभी तो हाल यह हैं कि पालक निरीह बना हुआ है और कतिपय स्कूल संचालक मस्त होकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। जिले का शिक्षा विभाग पिछले तीन सालों की फीस का आनलाईन आंकडा जुटाने में ही सफल नहीं हो पा रहा है। पूरे मामले को शिक्षा विभाग ऐसे गायब कर गया है जैसे गधे के सिर से सिंग गायब हो गए हों। मामले को लेकर जिम्मेदार शिक्षा माफियाओं के समक्ष मानों दंडवत करने में लगे हों। खुसूर-फूसूर है कि अगर यही करना था तो विभाग के बंद कमरों में बैठकर पूर्ववत सब किया जा सकता था जैसे नियमों के बावजूद चार कमरे के स्कूलों को मान्यता देते रहे और जमीन हवा में दिखाते रहे। वैसे ही कर लेते, बेचारे पालकों को चारा बनाकर निजी स्कूल संचालकों के सामने पेश कर और उनकी जेब पर झटका देते हुए ये सब करना तो दोहरी मार और दोगलेपन का वार ही कहा जाएगा।

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