25 साल बाद पाक ने स्वीकारा, कारगिल जंग में शामिल थी पाकिस्तानी सेना

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नई दिल्ली। कारगिल जंग में हार के 25 साल बाद पाकिस्तान ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि युद्ध में उसकी भूमिका थी। रक्षा दिवस पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने सच स्वीकार किया है। एक भाषण में उन्होंने कहा कि 1948, 1965, 1971 और कारगिल व सियाचिन जंग में पाकिस्तान के कई जवानों ने बलिदान दिया है। ऐसा पहली बार है जब पाकिस्तान ने स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया है कि कारगिल में उसके काफी सैनिक मारे गए थे। इससे पहले पाकिस्तान जंग में अपनी सेना की सीधी तौर पर मौजूदगी को लेकर बचता रहा है। लेकिन दुनिया को पता है कि उसके फौजियों ने भारत के खिलाफ साजिश रची थी। लेकिन वे अपने मंसूबों में नाकाम साबित हुए थे।

4 जनरलों के समूह ने की थी प्लानिंग

जंग के समय ही इस्लामाबाद ने कहा था कि उसकी कोई सैन्य भागीदारी नहीं है। उसने घुसपैठियों को स्वतंत्रता सेनानी या मुजाहिदीन कहा था। पाकिस्तान ने उस समय दावा किया था कि उसकी सेना सिर्फ गश्त पर थी। कबीलाई नेताओं ने ही ऊंची चोटियों पर कब्जा किया था। पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया भी इसे पाकिस्तान और जनरल परवेज मुशर्रफ की मूर्खता बता चुके हैं। जिससे पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं हुआ था। अजय के अनुसार पूरी प्लानिंग 4 जनरलों के समूह की थी।

 

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