नये स्वरूप में संवरेगा उज्जैन का संगीत महाविद्यालय, संस्कृति विभाग ने उठाया जिम्मा…पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी

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उज्जैन। उज्जैन का शासकीय संगीत महाविद्यालय अब नये स्वरूप में संवारा जाएगा। इसके लिए
संस्कृति विभाग ने जिम्मा लिया है। पं. विष्णु भातखंडे द्वारा करीब 98 वर्ष पूर्व 1926 में स्थापित शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय उज्जैन को नया भवन मिलने जा रहा है। वर्तमान में यह महाविद्यालय विक्रम विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में संचालित है। देश के सबसे पुराने संगीत महाविद्यालयों में से एक है, वहीं मप्र का यह दूसरा सबसे पुराना महाविद्यालय है।

 उज्जैन के साथ ही ग्वालियर, इंदौर  और धार, नरसिंहगढ़ के भी महाविद्यालयों को संवारा जाएगा और इनमें पारंपरिक संस्कृति की झलक दिखाई देगी। दरअसल लंबे समय से या तो किराये के भवन में संचालित हैं या जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। ऐसे में संस्कृति विभाग ने अब इन्हें संवारने का जिम्मा उठाया है। इस वर्ष इनके निर्माण तथा पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा, जो अगले दो वर्ष तैयार हो जाएंगे। नए भवनों में पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। साथ ही इन्हें आधुनिक समय, तकनीक व आवश्यकता के अनुसार आकार दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने मप्र संस्कृति विभाग को 40 करोड़ रुपए का अलग से बजट आवंटित किया है।

गौरतलब है कि देश की सांस्कृतिक विरासत और कला से नई पीढ़ी को परिचित कराने और इसके विस्तार के उद्देश्य से स्थापित प्रदेश के संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को नए स्वरूप में तैयार किया जा रहा है। इस रकम से ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, धार और नरसिंहगढ़ के महाविद्यालयों को नया स्वरूप दिया जाएगा।
संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के भवन निर्माण और रिनोवेशन कार्य के लिए डीपीआर तैयार हो गई है। उज्जैन   के महाविद्यालय  के नए भवन की डीपीआर को स्वीकृति भी मिल गई है।  निर्माण कार्य के लिए टूरिज्म कारपोरेशन ने आगे की कार्यवाही भी शुरू कर दी है।  संचालक संस्कृति संचालनालय एनपी नामदेव का कहना है कि हमारे कई महाविद्यालयों का निर्माण एवं पुनर्निमाण कार्य लंबित था, जिसे अब जल्द ही पूर्ण किया जाएगा। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए शासन ने 25 करोड़ और पांच महाविद्यालयों के लिए 40 करोड आवंटित किए हैं। उज्जैन और नरसिंहगढ़ महाविद्यालय की डीपीआर को स्वीकृति मिल गई है। टूरिज्म कारपोरेशन आगे की कार्यवाही कर रहा है। शेष तीन कॉलेज और विश्वविद्यालय की डीपीआर को स्वीकृति मिलते ही जल्द निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

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