डिप्लोमा कोर्स की 32 सीटें खाली छोड़ने पर इंदौर खंडपीठ ने सरकार को फटकार लगाई

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इंदौर। एमबीबीएस के बाद विशेषज्ञता हासिल करने के लिए किए जाने वाले डिप्लोमा कोर्स की 32 सीटें खाली छोड़ने पर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह 20 सितंबर से पहले बताए कि ये सीटें खाली क्यों छोड़ीं। ऐसा नहीं करने पर 20 सितंबर को खुद चिकित्सा आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा।

उज्जैन निवासी डॉ योग्यता मारोठी ने एडवोकेट आदित्य संघी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा कि मप्र में डॉक्टरों के लिए सर्जन एंड फिजिशियन (सीपीएस) डिप्लोमा पाठ्यक्रम होता है। वर्ष 2022-24 सत्र में इसमें प्रवेश के लिए मापअप राउंड हुआ था। इसमें 92 सीटें थीं, लेकिन इसमें से 32 खाली रह गईं। इन खाली सीटों के बारे में शासन ने न तो सार्वजनिक सूचना जारी की और न ही इसमें प्रवेश चाहने वाले डाक्टरों को जानकारी दी। सूचना मिलती तो डॉक्टर इन खाली सीटों पर प्रवेश ले सकते थे। एडवोकेट संघी ने बताया कि याचिकाकर्ता डॉक्टर को डिप्लोमा इन एनेस्थीसिया में प्रवेश मिला था। वे किसी अन्य ब्रांच में डिप्लोमा करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें सीटें खाली होने की जानकारी ही नहीं थी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान एडवोकेट संघी ने कहा कि शासन की लापरवाही के चलते 32 सीटें खाली रह गईं, जो छात्र अपग्रेड करना चाहते थे उन्हें न तो सूचित किया गया और न इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया। तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने शासन को 20 सितंबर से पहले जवाब देने के लिए कहा है।

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