धर्म संगत नहीं है पितृ पक्ष में गणेश प्रतिमा का विसर्जन

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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इसी दिन गणेशोत्सव का समापन होता है और गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गणेश प्रतिमा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन ही किया जाना चाहिए। इसके अगले दिन से पितृ पक्ष लग जाता है और उस दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन धर्म संगत नहीं माना गया है।

14 वर्षों तक अनंत फल मिलता है

अनंत सुखों को देने वाला अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि यदि इस दिन श्रीहरि (विष्णु जी) की पूजा की जाए तो 14 वर्षों तक अनंत फल मिलता है। पौराणिक कथा माने तो पांडवों को भी इस व्रत के प्रताप से खोया राजपाठ मिला था। इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को है।

शुभ मुहूर्त

लाभ चौघड़िया सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक। इस अवधि में आप पूजा कर सकते है।

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। वैसे तो अनंत चतुर्दशी की पूजा किसी पवित्र नदी, सरोवर के किनारे करने का विधान है। यदि आप किसी पवित्र नदी पर जा सकते है तो ठीक है वरना आप चाहें तो अपने घर के मंदिर में भी पूजा अर्चना कर सकते है। पूजा के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर लेते हुए प्रतिमा की स्थापना करें। इसके बाद एक डोरे लें और 14 बार गांठ बांध लें। इस डोरे को भगवान की तस्वीर के पास रख दें। डोरा रखते समय ओम अनंताय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद पुरुष अपने दाहिने हाथ में और स्त्री अपने बाएं हाथ में धागा बांध लें। इसके बाद अनंत चतुर्दशी की कथा का पाठ करें क्योंकि, इसके बिना आपको अपने व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाएगा। साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना विधि विधान से करें। अंत में आरती करें और फिर ब्राह्माणों को भोजन जरूर कराएं। ब्राह्माणों को भोजन कराने के बाद परिवार के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करें।

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