एक्शन में इंदौर का प्रशासन…तलघर की दुकानों को सील किया

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इंदौर। आखिरकार रविवार को इंदौर का प्रशासन एक्शन में आया और तलघर में चल रही दुकानों को सील कर दिया गया। ये वे दुकानें थी जो पार्किंग के स्थान पर संचालित हो रही थी।
एक माह पहले प्रशासन ने शहर की सैकड़ों मल्टियों में ऐसी की दुकानों के मामले में सार्वजनिक सूचना जारी कर मोहलत दी थी। हालांकि  हाईकोर्ट में ऐसी ही सील की गई दुकान के मामले में सुनवाई के दौरान सील किए गए ऑफिस को तीन घंटे में खोलने के आदेश दिए गए थे। एसडीएम घनश्याम धनगर और प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ निगम अधिकारी विनोद मिश्रा ने कर्मचारियों की टीम के साथ सबसे पहले भंवरकुआं मेनरोड पर बनी मल्टियों में पार्किंग की जगह बनाई गई दुकानों को सील किया गया। अधिकारियों के मुताबिक वहां 6 से ज्यादा दुकानों को सील कर ताले लगाए गए। इसके बाद टीम भोलाराम उस्ताद मार्ग पर पहुंची। वहां भी मेन रोड पर बनी मल्टियों में 7 दुकानें अवैध रूप से बनाई गई थीं, जिन्हें सील कर दिया गया। इस दौरान यहां कई दुकानदार पहुंचे भी थे, लेकिन अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी। इसके बाद कैसरबाग ब्रिज के नीचे इमारतों के बेसमेंट में बनी 4 दुकानें सील कर दी। निगम अधिकारी मिश्रा के मुताबिक आज दिनभर अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशासन की टीम के साथ यह कार्रवाई जारी रहेगी। प्रशासन द्वारा ऐसी दुकानों के मामले में सार्वजनिक सूचना जारी कर एक माह की मोहलत दी गई थी और अब कार्रवाई शुरू कर दी गई है। निगम द्वारा यह कार्रवाई बिना किसी नोटिस एवं कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना की जा रही है। इसी के विरुद्ध कल एमजी रोड स्थित अहिंसा टावर के बेसमेंट एल-जी 11 में एक अभिभाषक पंकज सोनी के आफिस को सील कर दिया गया। इस पर अभिभाषक ने तत्काल कोर्ट में याचिका दायर की तो हाईकोर्ट ने अर्जेंन्ट सुनवाई करते हुए सील किए गए आफिस को तीन घंटे में खोलने के आदेश निगम को जारी किए थे। अभिभाषक का कहना था कि उसने 12 साल पहले उक्त आफिस खरीदा था और अब बिना नोटिस के उसके आफिस को सील कर दिया गया। बीते कई सालों में शहर के प्रमुख मार्गों से लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में धड़ल्ले से मल्टियों के बेसमेंट मे पार्किंग की जगह पर दुकानें और ऑफिस बनते रहे और उनकी खरीदी-बिक्री भी धड़ल्ले से होती रही, लेकिन तब तक प्रशासन और निगम के अफसर सोते रहे। अब पार्किंग को लेकर जगह-जगह हल्ला मचने पर मल्टियों के बेसमेंट में बनी दुकानों की याद आई और अब वर्षों बाद कार्रवाई के अभियान चलाये जा रहे हैं।

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