उज्जैन में भी लगेंगे सीसीटीवी कैमरे…अपराधों पर नियंत्रण के लिए उठाया गया है कदम

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उज्जैन। सरकार ने प्रदेश के शहरी इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम अनिवार्य कर दिया है और अब इसके तहत स्थानीय प्रशासन भी कैमरे लगाने की तैयारी में है। दरअसल सरकार चाहती है कि आपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण हो और इसके लिए कैमरे ही उपयुक्त हो सकते है।
भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार  प्रदेश के शहरी इलाकों में लगातार आबादी बढ़ रही है, जिसकी वजह से शहरी इलाकों में अपराधों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे में आपराधिक प्रवृत्ति और असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए अब भीड़-भाड़ वाली जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। यानी की अब हर ऐसी जगह पर जहां पर भीड़ भाड़ होती है, वहां पर तीसरी आंख से नजर रखी जाएगी। दरअसल, यह कदम अपराधों पर नियंत्रण के लिए उठाया गया है। इसके तहत ऐसे स्थानों पर कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिन  इलाकों में 100 से ज्यादा लोगों की भीड़ होती है। इसके लिए उन सभी स्थानों और प्रतिष्ठानों पर सामुदायिक कैमरा प्रणाली लागू कर दी है। जिसके तहत हर प्रतिष्ठान, 1500 वर्ग से ज्यादा के आवास, दुकान, सार्वजनिक स्थल, परिसर एवं अन्य स्थानों पर प्रवेश एवं निर्गम द्वार पर अनिवार्य रूप से कैमरे लगाने होंगे। विभाग ने कैमरा संचालन की पूरी नियमावली बना दी है। खास बात यह है कि सामुदायिक कैमरा प्रणाली के तहत किसी भी स्थान या प्रतिष्ठान में कैमरा लगाने का खर्च स्वयं संबंधित प्रतिष्ठान स्वामी या संबंधित परिसर के प्रमुखों को उठाना पड़ेगा। विभाग ने कैमरा लगाने के लिए शर्ते निर्धारित की हैं कि जो एजेंसियां सूचीबद्ध की जाएंगी, उनके माध्यम से ही तय मापदंडों के अनुसार कैमरे लगवाए जाएंगे। फिलहाल विभाग ने कैमरा लगाने वाली एजेंसियां सूचीबद्ध नहीं की हैं। सामुदायिक कैमरा प्रणाली निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रणाली है। इसके दायरे में 100 या अधिक संख्या में एकत्रित होने वाले स्थान, 1500 वर्गफीट या अधिक क्षेत्र में निर्मित भवन, प्रतिष्ठान, उद्योग इकाई, धार्मिक स्थल, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, खेल परिसर, मनोरंजन के स्थान, सभागार, होटल, कार्यालय, बैंक, कन्वेंशन सेंटर, सार्वजनिक स्थाने जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, संगठित समूह के स्थान हैं। आवासी बस्तियां, रहवासी सोसायटियां के प्रवेश एवं निकास द्वार भी इसके दायरे में रहेंगे। साथ ही धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक आयोजन एवं रैली भी इसके दायरे में रखे गये हैं।

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