मध्य प्रदेश पुलिस अब अपराधियों के इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स आईडी का भी रखेगी रिकॉर्ड

0

दैनिक अवन्तिका भोपाल

मध्य प्रदेश पुलिस अब अपराधी की हिस्ट्रीशीट में उससे जुड़े व्यक्तियों की विशेष प्रकृति के संबंध में नोट कर टिप्पणी लिखी जाएगी, साथ ही उनके फोन नंबर या मोबाइल नंबर एवं उनके संबंधी रिश्तेदारों की जानकारी लेकर उसे रिकॉर्ड में रखा जाएगा।

ऐसे व्यक्तियों के आधार नंबर, एपिक नंबर, ई-मेल आइडी, इंटरनेट मीडिया अकाउंट प्रोफाइल जैसे, फेसबुक, इंस्टाग्राम आईडी, एक्स आईडी भी अभिलेख पर रखे जाएंगे। हिस्ट्रीशीट की समय-समय पर पुलिस उप महानिरीक्षक, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी या उनसे वरिष्ठ स्तर के अधिकारी द्वारा समीक्षा की जाएगी।

ऐसे व्यक्तियों के आधार नंबर, एपिक नंबर, ई-मेल आइडी, इंटरनेट मीडिया अकाउंट प्रोफाइल जैसे, फेसबुक, इंस्टाग्राम आईडी, एक्स आईडी भी अभिलेख पर रखे जाएंगे। हिस्ट्रीशीट की समय-समय पर पुलिस उप महानिरीक्षक, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी या उनसे वरिष्ठ स्तर के अधिकारी द्वारा समीक्षा की जाएगी।
मध्य प्रदेश में अब जातियों के आधार पर अपराधियों की हिस्ट्रीशीट नहीं बनाई जाएगी। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में परिपत्र जारी किया है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक आपराधिक अपील अमानतुल्लाह विरुद्ध पुलिस आयुक्त दिल्ली एवं अन्य में, अपराधियों के इतिहास वृत्त (हिस्ट्रीशीट) तैयार करने में बरती जाने वाली सावधानी के संबंध में पिछले दिनों आदेश पारित किया है। इसी आदेश के परिपालन में यह परिपत्र जारी किया गया है।

परिपत्र में कहा गया है कि अपराधियों की हिस्ट्रीशीट तैयार करते समय ध्यान में रखा जाए कि किसी भी पिछड़े समुदायों एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों के साथ-साथ आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम केवल इस कारण से कि वे उस जाति, जनजाति अथवा समाज के हैं।

हिस्ट्रीशीट में उनकी प्रवृष्टि न की जाए, क्योंकि अक्सर इस प्रकार की धारणाएं ऐसे समाज से जुड़ी हैं जो प्रचलित रूढ़ियों के कारण उन्हें पीड़ित बना देती हैं। ये उनके आत्म सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार को बाधित कर सकती है। इन निर्देशों का पालन न करने की दशा में दोषी पुलिस अधिकारी / कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

हिस्ट्रीशीट तैयार करते समय अपराधी के नाबालिग रिश्तेदार अथवा उसके पुत्र, पुत्री, भाई, बहन का कोई विवरण तब तक दर्ज नहीं किया जाएगा, जब तक कि इस बात के साक्ष्य न हो कि संबंधित नाबालिग द्वारा अपराधी को कोई आश्रय दिया है या आश्रय दे सकता है जब वह पुलिस से भाग रहा था। परिपत्र में कानून का उल्लंघन करने वाले बालक या देखभाल की आवश्यकता वाले बालक की पहचान सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *