अखाड़ा-महामंडलेश्वर से पूछा….. शाही मस्जिद, लाल किला, ताजमहल से कैसे हटवाओगे गुलामी के शब्द

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उज्जैन। श्री महाकालेश्वर भगवान की शाही सवारी को लेकर शाही शब्द को गुलामी का प्रतीक बताने वाले विद्वान एवं अखाड़ा परिषद द्वारा संपूर्ण भारत में गुलामी के प्रतीक चिन्ह इमारत और शब्दों को हटाने के लिए भी क्या कोई आंदोलन करेंगे। इस प्रश्न का उत्तर सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों सनातनी हिंदू जानना चाहते हैं।
महाकाल सेना के राष्ट्रीय प्रमुख महेश शर्मा पुजारी ने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्रपुरी सहित उज्जैन नगर के विद्वान, महामंडलेश्वर एवं संघ प्रमुख को पत्र भेजकर यह जानना चाहा है कि महाकाल की सवारी के साथ यदि शाही शब्द गुलामी का प्रतीक है तो देश में शाही मस्जिद, शाही इमामबाड़े, कुतुबमीनार, लाल किला, ताजमहल यह सब भी भारत में रहने वाले भारतीयों को गुलामी की याद दिलाते हैं। क्या इसे हटाने के लिए अखाड़ा परिषद, साधु समाज, महामंडलेश्वर निर्णय लेंगे? यह देश को अवगत कराएं। महाकाल सेना प्रमुख ने पत्र में यह भी कहा है कि देश के दो राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी लाल किले पर मनाए जाते हैं और देश के प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हैं। क्या यह विषय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्रपुरी और विद्वानों के संज्ञान में नहीं है। क्या इन विषयों को लेकर वह गूंगे एवं बहरे हो गए हैं और क्या इन दोनों राष्ट्रीय पर्वों को लाल किले से नहीं मानने के लिए अखाड़ा परिषद और साधु समाज प्रधानमंत्री से आग्रह करेंगे? महाकाल की शाही सवारी का विवाद करके महाकालेश्वर भगवान का अपमान किया है।
देश के विद्वानों महामंडलेश्वरों ने जो क्षमा योग्य नहीं है, जबकि सनातन धर्म के शंकराचार्य उसका स्पष्टीकरण कर चुके हैं। उनका कहना न मानना सनातन धर्म का अपमान है। महाकाल सेवा ने पत्र में जो लिखा है, अगर उसे आप दूर करते हो तो आप सनातन धर्म की रक्षा करते हैं अन्यथा आप केवल अपना सस्ता प्रचार के लिए सनातन धर्म का इस्तेमाल करते हैं।  महाकाल सेना सनातन धर्म को मानने वाले लोगो से अपील करती है कि आप अपने मत, पंथ, संप्रदाय के साथ सनातन धर्म के सर्वोच्च शंकराचार्य जी, जो सनातन धर्म का नेतृत्व करते हैं, उनके साथ एकता और मजबूती के साथ खड़े रहें, जिससे कोई भी सनातन धर्म का दुरुपयोग नहीं कर सके।

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