गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद शिप्रा नदी के अंदर कचरा – नदी में फूल, पत्ती, पूजन सामग्री सहित पालीथिन में भरकर फैंकी सामग्री तैर रही हैं।

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 दैनिक अवंतिका उज्जैन।अनंत चतुदर्शी के साथ ही शुरू हुआ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन का क्रम अभी भी जारी हैं। शिप्रा नदी के छोटे पुल पर सिंहस्थ द्वार  के समीप सुनहरी घाट, केदारघाट सहित कई घाटों  की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद  शिप्रा नदी के कई घाट कचरा, गंदगी से पट गए हैं। शिप्रा नदी में फूल, पत्ती, पूजन सामग्री सहित पालीथिन में भरकर फैंकी सामग्री तैर रही हैं। इसके अलावा नदी में गणपति भी विसर्जन किए गए इस वजह से गणेश प्रतिमा को बनाने के लिए जो लकड़ी के ढांचे बनाए गए थे वह भी नदी में तैर रहे हैं। जिससे शिप्रा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। वहीं नदी के घाटों की सुंदरता भी प्रभावित हो रही है। विसर्जन के बाद शिप्रा नदी की दुर्दशा बिगड़ गई है  वहीं नगर निगम द्वारा इस बार विसर्जन स्थल शिप्रा नदी सहित अन्य जगह  की सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि  शिप्रा नदी के छोटे पुल के सिंहस्थ द्वार  के पास बने कई घाट केदारघाट, रविदास घाट, सुनहरी घाट के पास तैरते कचरा, गंदगी को निकालने की बजाए उसे दूसरी तरफ बहा दिया गया। जबकि कायदे से पूजन सामग्री, पालीथिन, कचरा गंदगी को निकलवाना चाहिए ।

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