खुसूर-फुसूर पत्रकारों के हमकदम रहे रेंज के एक आईपीएस

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दैनिक अवन्तिका

खुसूर-फुसूर

पत्रकारों के हमकदम रहे रेंज के एक आईपीएस

पत्रकारों को मंचों से आश्वस्त करने वाले अफसरान तमाम मुद्दों पर उनसे बचते रहते हैं। आईने को हमकदम बहुत कम ही बनाते हैं। रेंज के एक जिले में कुछ दिनों पूर्व तक रहे पुलिस अधीक्षक ने अघोषित चौथे स्तंभ को हमकदम की तरह रखा। घटनाओं –दुर्घटनाओं के साथ ही उन्होंने तमाम सूचनाओं को पत्रकारों के साथ साझा किया और वह भी सोश्यल मिडिया पर । खुले दिल के आईपीएस ने अपनी पदस्थी के समय से ही जिले के चौथा स्तंभ से गहरे ताल्लुकात रखे। पत्रकारों की समस्याओं से भी वे अवगत रहे और मूल पत्रकारों से ही जुडे रहे। उन्होंने चौथा स्तंभ के अगेवानों से ग्रुप बनवाया और उसमें खूद के साथ जिले के उनके सभी थाना प्रभारियों को भी जुडवाया। उनकी देखा-देखी से प्रशासन के सभी विभागों के कर्णधार भी उससे जुडे। पत्रकारों के घटना, समस्याओं के लिखे जाने पर वर्शन के लिए लिखित और आडियो विडियों के साथ सुविधा उसमें सभी को मिली । दोनों पक्षों का समय और परिवहन में होने वाला व्यय भी इससे बचा।यही नहीं समय पर पत्रकारों को जानकारी मिली और असमय की कालिंग से अधिकारी भी बचे । प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत विरोध के बीच वे अन्यत्र भेज दिए गए। खुसूर-फुसूर है कि पारदर्शिता के साथ काम करने वाले आईपीएस को संबंधित जिला के अघोषित चौथास्तंभ एवं विभागीय अधिकारी,कर्मचारी के साथ ही अन्य अधिकारी भी उनके संवाद,संपर्क,समन्वय के कार्यों को लेकर याद करते रहेंगे।

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