निगम मंडलों में नियुक्ति के लिए भारी कश्मकश, दिवाली बाद मोहन सरकार ले सकती है निर्णय

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दलबदलू नेताओ को एजेस्ट करना भी टेड़ी खीर

 

 

इंदौर। कांग्रेस से दल बदल कर भाजपा में आए नेता पार्टी की रीति नीतियां समझ नहीं पा रहे हैं। उन्हें भाजपा में एक तरह से सफोकेशन हो रहा है।
सही भी है भाजपा का राजनीतिक चरित्र और कल्चर कांग्रेस से बिल्कुल अलग है। कांग्रेस एक आंदोलन से निकली पार्टी है। जबकि भाजपा एक खास विचारधारा से उपजा ऐसा संगठन है ।जो कैडर बेस्ड माना जाता है। वर्षों तक कांग्रेस में राजनीति करने वाले नेता संघ द्वारा बनाए गए संगठन आत्मक ढांचे में घुटन सी महसूस होती है।
यही वजह की अवसरवादी या पद प्राप्ति के लिए आए अन्य दलों के कार्यकर्ता या नेता भाजपा में ज्यादा दिन टिक नहीं पाते।
इंदौर जिले की बात करें तो यहां तुलसी सिलावट, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अंतर सिंह दरबार जैसे वो नेता भाजपा में आए जो कई बार विधानसभा का टिकट प्राप्त कर चुके हैं और जो विधायक भी रह चुके हैं।
इन नेताओं में केवल तुलसी सिलावट ही ऐसे हैं जिन्होंने खुद को भाजपा की संस्कृति में ढाल लिया अन्यथा विशाल पटेल संजय शुक्ला जैसे नेता समझ नहीं पा रहे हैं कि भाजपा में खुद को कैसे एडजस्ट करें।
इन दिनों भाजपा में सदस्यता अभियान चल रहा है। सदस्यता अभियान का पहला चरण 1 सितंबर से 25 सितंबर तक था। दूसरा चरण 1 अक्टूबर यानी मंगलवार से प्रारंभ हुआ जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। पहले चरण में दल बदल कर भाजपा में आए नेताओं ने बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ली, लेकिन दूसरे चरण में जैसे ही यह खबर चर्चा में आई कि जल्दी ही निगम मंडलों में नियुक्तियां हो सकती हैं।
पूर्व कांग्रेसी नेताओं ने सक्रियता दिखाने प्रारंभ कर दी है। ऐसे नेताओं में अंतर सिंह दरबार और संजय शुक्ला का नाम लिया जा सकता है, जिन्होंने घर-घर जाकर सदस्यता अभियान में हिस्सा लेने के फोटो और वीडियो चलाएं हैं।
देपालपुर के पूर्व विधायक विशाल पटेल हालांकि अभी भी सदस्यता अभियान में सक्रिय नहीं हुए हैं। जबकि सांवेर विधानसभा क्षेत्र में कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट लगातार मतदान केंद्र तक पहुंच कर सदस्यता अभियान को गति दे रहे हैं।
तुलसी सिलावट संभवतः ऐसे पहले पूर्व कांग्रेसी नेता हैं जो भाजपा की संगठन प्रक्रिया में इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं। तुलसी सिलावट के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भाजपा की कार्य संस्कृति को एक तरह से अपना लिया है।
खास बात यह है कि तुलसी सिलावट संघ के पदाधिकारियों से भी लगातार संपर्क में रहते हैं। उन्होंने संघ के प्रचारकों को भाई साहब कहना भी सीख लिया है। तुलसी सिलावट इस मामले में अन्य कांग्रेसी नेताओं से अलग साबित हुए हैं।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि निगम मंडल की नियुक्तियों में किन पूर्व कांग्रेसी नेताओं को पदों से नवाजा जाता है।

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