गरीब कैदियों की मदद करेगी एमपी सरकार, ताकि कैद से छूट सकें, उज्जैन की सेंट्रल जेल से दो कैदी रिहा किए गए

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इंदौर-उज्जैन। एमपी की मोहन सरकार अब ऐसे गरीब कैदियों की मदद करेगी जो मामूली जुर्माना राशि न भरने के कारण जेलों में बंद है। सरकार की इस मदद से सालों से जेल में बंद गरीब, बेसहारा और कम पढ़े लिखे कैदी कैद से छूट सकेंगे। बता दें कि इंदौर, उज्जैन सहित प्रदेश की जेलों में बंद 16 कैदियों की रिहाई केन्द्र सरकार की सपोर्ट टू पुअर प्रिजनर्स अर्थात गरीब कैदियों को मदद जैसी योजना के माध्यम से हो चुकी है लेकिन केन्द्र सरकार की इस योजना का लाभ अधिकांश गरीब कैदियों को इसलिए नहीं मिल पा रहा है क्योंकि वे तय जुर्माना नहीं भर पा रहे है।
केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों एक योजना लागू की, जिसे सपोर्ट टू पुअर प्रिजनर्स यानी गरीब कैदियों को मदद करना है, जिस पर मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे बेहतर अमल किया और पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी प्रशंसा भी की। दरअसल मामूली जुर्माना राशि न भर पाने के कारण कई गरीब, बेसहारा, कम पढ़े लिखे कैदी सालों से जेल में बंद हैं। अब ऐसे कैदियों की जुर्माना राशि शासन भरेगा, ताकि वे कैद से छूट सकें। लेकिन इसमें बलात्कारी, हत्यारे, भ्रष्ट या अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त कैदियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। देशभर की जेलों में लाखों की संख्या में ऐसे कैदी बंद हैं, जिनका अपराध भी मामूली है और वे लगभग अपनी सजा भी पूरी कर चुके हैं। मगर उनके पास ना तो जुर्माना राशि भरने के पैसे हैं और ना ही कोई वकील कर सकते। इनमें कई लावारिस, अनपढ़, गरीब से लेकर अन्य श्रेणी के कैदी शामिल हैं। इससे जेलों पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, क्योंकि अधिकांश जेलों में क्षमता से अधिक कैदी रखे हुए हैं। लिहाजा केन्द्र सरकार ने ऐसे कैदियों की रिहाई की योजना बनाई और उन्हें सरकारी वकील की मदद दिलवाने के साथ अगर 25- 50 हजार रुपए तक की जुर्माना राशि है तो उसे भरकर छोड़ने को भी कहा गया। सभी राज्य सरकारों को इस योजना पर अमल करना है। मगर इसमें मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने बाजी मारी और अभी तक 16 कैदियों की रिहाई करवा दी। इसमें एक कैदी इंदौर की सेंट्रल से रिहा हुआ, तो इसी तरह शाजापुर, धार, सतना, झाबुआ, भोपाल से भी एक-एक कैदी को रिहाई मिली, तो उज्जैन की सेंट्रल जेल से दो कैदी रिहा किए गए। वहीं सर्वाधिक 8 कैदी जबलपुर की सेंट्रल जेल से इस योजना के तहत रिहा किए।

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