आईआईटी इंदौर में विकसित हुआ किफायती डिवाइस…जिससे हो सकेगी स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान 

इंदौर।  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर ने स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए एक नया, किफायती और कॉम्पैक्ट डिवाइस पेश किया है। जिसे विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों की महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। यह उपकरण पारंपरिक नैदानिक विधियों की तुलना में बहुत सस्ता है। जिससे इसकी लागत लगभग दसवें हिस्से तक कम हो जाती है।

विद्युत इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर श्रीवत्सन वासुदेवन के नेतृत्व में विकसित इस डिवाइस का आधार फोटोअकॉस्टिक स्पेक्ट्रल रिस्पांस तकनीक है। जो ऑप्टिकल और ध्वनि संकेतों के संयोजन से ऊतकों में होने वाले असामान्य परिवर्तनों का पता लगाने में सक्षम है। यह तकनीक एक कॉम्पैक्ट पल्स लेजर डायोड का उपयोग करती है। जो कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त ऊतकों के बीच अंतर कर सकती है। डिवाइस से प्राप्त प्रतिक्रिया का विश्लेषण करके यह निर्धारित किया जाता है कि ऊतक सामान्य है।

आईआईटी इंदौर के निदेशक, सुहास जोशी  ने बताया कि भारत में महंगे नैदानिक उपकरण, जैसे एमआरआई और सीटी स्कैनर, कई लोगों के लिए पहुंच से बाहर हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस स्वदेशी उपकरण के माध्यम से आईआईटी इंदौर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है। यह डिवाइस स्तन कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगाने में सक्षम है। जिससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को विशेष रूप से लाभ होगा। प्रारंभिक निदान के माध्यम से कैंसर की जटिलताओं से बचने और उपचार की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से यह डिवाइस स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार करेगा।