स्कूलों में पढ़ाई को बनाया जाएगा आनंददायक और तनावमुक्त, बगैर बस्ते के दस दिनों तक स्कूलों में होगी बच्चों की पढ़ाई

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मिट्टी के बर्तन बनाना, बढ़ई से काष्ठकारी और माली से बागवानी के गुर सीखेंगे

दैनिक अवन्तिका उज्जैन

पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी अब स्कूली बच्चों को तनाव मुक्त और आनंददायक पढ़ाई कराने के लिए दस दिनों तक स्कूली बस्ते से मुक्त रखा जाएगा अर्थात दस दिनों तक कक्षा 6 से लेकर आठवीं तक बगैर बस्तों से ही स्कूली बच्चे पढ़ाई करेंगे।

स्कूलों में पढ़ाई को अधिक आनंददायक, तनाव मुक्त और अनुभव देने वाला बनाने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। कक्षा छठवीं से आठवीं तक के बच्चे 10 दिन बिना बैग के पढ़ाई करेंगे। इस दौरान बच्चे कुम्हार से मिट्टी के बर्तन बनाना, बढ़ई से काष्ठकारी और माली से बागवानी के गुर सीखेंगे। यह पहल मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने की है। इसको लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक गाइडलाइन जारी की है। जिसे एनसीईआरटी की एक इकाई पीएसएस केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान ने तैयार किया है। दरअसल महीने में दस दिन बस्ता रहित पढ़ाई की सिफारिश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में की गई है। जिसे लागू करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

ॅ संचालक राज्य शिक्षा केंद्र हरजिंदर सिंह का कहना है कि पहले से ही मप्र के स्कूलों में सप्ताह में एक दिन बिना बैग के कक्षाएं संचालित करने के आदेश जारी किए गए हैं। साथ ही छठवीं से आठवीं कक्षा के बच्चों को साल में 10 दिन बिना बैग के गतिविधि आधारित पढ़ाई कराई जाएगी। इनका पालन कराया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में गतिविधि आधारित जॉयफुल लर्निंग पर जोर दिया जा रहा है। बच्चों के अंदर कौशल विकास व तार्किक क्षमता को बढ़ाने के लिए करिकुलम एक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

ॅ इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मप्र शासन के सरकारी व निजी स्कूलों को आदेश जारी कर छठवीं से आठवीं तक की कक्षाओं को 10 दिन बैगलेस संचालित करने के आदेश जारी किए हैं। इन दस दिनों में स्कूलों में ऐतिहासिक स्थलों व धरोहरों का भ्रमण कराया जाएगा, ताकि इतिहास के बारे में विद्यार्थी जान सकेंगे। इसके अलावा खेल, बागवानी,आर्ट एंड क्राफ्ट, म्यूजिक आदि की गतिविधियां कराई जाएंगी। इसके लिए विशेषज्ञ भी आएंगे। इनके माध्यम से विद्यार्थियों के अंदर के टैलेंट को निखारने व परखने का प्रयास किया जाएगा।

इसका उद्देश्य बच्चों को किताबों के बोझ से दूर रखकर वास्तविक जीवन की शिक्षा देना है।

अभिन्न हिस्सा
ॅ गाइडलाइन में कहा गया है कि 10 दिन बिना बैग की पढ़ाई के पीछे का विचार बच्चों को टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस का अभिन्न हिस्सा बनाना है। यह न सिर्फ किताबी ज्ञान और ज्ञान के उपयोग के बीच की सीमाओं को कम करेगा, बल्कि बच्चों का कार्य क्षेत्र के लिए जरूरी स्किल से भी परिचय कराएगा। जिससे उन्हें आगे करियर तय करने में मदद मिलेगी।

ॅ गाइडलाइन में कहा गया है कि छठवीं से आठवीं तक की कक्षा में पढ़ने वाला प्रत्येक छात्र एक मजेदार कोर्स करेगा। जिसमें राज्यों और स्थानीय समुदायों द्वारा लोकल स्किल के रूप में पहचाना गया होगा। इसमें बढ़ईगिरी, बिजली का काम, धातु का काम, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाना आदि शामिल है। मंत्रालय ने कहा है कि छात्र कक्षा छह से आठवीं के दौरान किसी भी समय 10 दिवसीय बैगलेस पीरियड में भाग लेंगे। इस दौरान वे बढ़ई, माली, कुम्हार आदि जैसे स्थानीय व्यावसायिक विशेषज्ञों के साथ इंटर्नशिप करेंगे।

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