दहाड़ते रावण को तीर लगते ही सुनाई देने लगी पटाखों की गूंज

उज्जैन। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व शनिवार को रावण दहन के साथ मनाया गया। दशहरा मैदान और कार्तिक चौक पर 101 फीट रावण के पुतले खड़े किये गये थे। रावण दहन की शुरूआत दशहरा मैदान से हुई। रावण की दहाड़ के बीच आतिशबाजी की गई रात 8.30 बजे तीर लगते ही रावण दहन के साथ पटाखों की गूंज सुनाई देने लगी। उसके बाद कार्तिक मेला ग्राउंड पर रावण का दहन किया गया।
बाबा महाकाल की नगरी में रावण दहन की परंपरा सालों पुरानी है। पिछले 61 वर्षो से दशहरा मैदान पर लाला अमरनाथ की स्मृति में रावण दहन की परंपरा को निभाया जा रहा है। इस बार भी 101 फीट का रावण खड़ा किया गया था। शाम 6 बजे से शहरवासी रावण दहन का मजा लेने के लिये दशहरा मैदान पहुंच गये थे। वर्ष में एक बार दशहरा मैदान आने वाली बाबा महाकाल की पालकी पहुंचने और कलेक्टर द्वारा पूजन करने के बाद दशहरा उत्सव की शुरूआत की गई। अतिशबाजी का सिलसिला शुरू हुआ, करीब एक घंटे तक आसमान अतिशबाजी के नाजारों से रंगीन होता रहा। इस बीच भगवान राम-लक्ष्मण और हनुमान की सवारी पहुंची, कुछ देर राम और रावण युद्ध की परंपरा को निभाया गया, जिसमें हनुमान भी रावण से युद्ध करते दिखाई दिये। रात 8.30 भगवान राम के धनुष से तीर निकलते ही रावण धू-धू कर जलने लगा और पटाखों की गूंज सुनाई देने लगी। रावण दहन के कार्यक्रम में दशहरा उत्सव समिति के प्रमुख शिवा ओम खत्री, समन्वयक डॉ. प्रकश रघुवंशी, समिति सदस्य और शहर के जनप्रतिनिधि शामिल हुए थे।
मेला ग्राउंड पर रात 9.30 बजे बाद हुआ दहन
पुराने शहर में क्षिप्रा नदी किनारे कार्तिक मेला ग्राउंड में 101 फीट का रावण बनाया गया था। स्व. प्रेमनारायण यादव की स्मृति में यहां रावण दहन का आयोजन समिति के सचिव चेतन यादव द्वारा किया गया। रावण दहन से भगवान ब्रह्स्पति की सवारी मेला ग्राउंड पहुंची। जिसका पूजन अभिषेक संभागायुक्त द्वारा किया गया। उसके बाद आतिशबाजी की शुरूआत हुई। करीब डेढ़ घंटे तक ग्वालियर-शिवपुरी के कलाकारो ने रंगारंग अतिशबाजी का नजारा पेश किया। भगवान राम-लक्ष्मण की सवारी पहुंचने पर आयोजन समिति की ओर से पूजन किया गया। रात 9.30 बजे बाद रावण दहन की परंपरा को पूरा किया।
भैरवगढ़ में हुआ रावण दहन
भैरवगढ़ क्षेत्र में श्रीराम नवयुवक मंडल की ओर से पूर्व पार्षद संजय कोरट ने रावण दहन का आयोजन किया था। 27 वर्षो से क्षेत्र में रावण के 101 पुतले का इस बार भी दहन किया गया। दशहरा मैदान और कार्तिक मेला ग्राउंड तक नहीं पहुंच पाने वाले शहरवासी भैरवढ़ पहुंचे थे, जहां आसपास के ग्रामीण भी रावण दहन का लुफ्ट उठाने पहुंचे थे। यहां भी शहर के जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में आतिशबाजी के साथ रावण दहन रात 10 बाद किया गया।
आज भी होगा रावण दहन
दशहरा पर्व के दूसरे दिन भी रावण दहन की परंपरा को कायम रखा जाता है। आज शास्त्रीनगर में जयसिंह दरबार मित्र मंडल द्वारा चलती रावण के 121 फीट ऊंचे पुतले का दहन किया जायेगा। जो वर्षो से शहरवासियों की पसंद बना हुआ है। शास्त्रीनगर के साथ नानाखेड़ा, डालडा फैक्ट्री चौराहा पर भी रावण दहन के लिये पुतले खड़े किये गये है।