ठेकेदारों ने निगम अफसरों के खिलाफ खोला मोर्चा, महापौर निगम कमिश्नर से मिलेंगे, आडिट विभाग से हो रही परेशानी बताएंगे

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अच्छा कार्य करने वालो को सजा, आखिर क्यों नहीं कर रहे बिल पास

इंदौर। नगर निगम ऑडिट विभाग में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी की कार्यशैली को लेकर एक बार फिर से ठेकेदारों ने आक्रोश जताया है। नाराज ठेकेदार निगम कमिश्नर शिवम वर्मा और महापौर पुष्यमित्र भार्गव से समय मिलने के लिए ले जायेंगे।
बताया जाता है कि निगम के ऑडिट विभाग में पदस्थ कर्मचारियों से लेकर अधिकारी इस प्रकार परेशान कर रहे है कि उन्हें पैसा देने के बावजूद एक महीने से अधिक ऑडिट में समय लगा देते हैं जबकि पहले ऑडिट जल्दी हो जाता था।

 

कई महीनो तक आडिट विभाग में फाइल पड़ी रहने से लेखा विभाग में नहीं जाती है इससे भुगतान होने में काफी समय लग जात जाता है। लेखा विभाग से परीक्षण के बाद भुगतान के लिए फाइल तीन दिन के अंदर ऑडिट विभाग में पहुंच जाती ,जबकि अर्जेंट फाइल तत्काल में भी भेज दी जाती है।
इधर ऑडिट विभाग में ही काफी देरी होने से परेशानी बढ़ जाती है और पुनः जब भुगतान के लिए आती है तब काफी समय बीत जाता है। इससे एक और जहां कई प्रोजेक्ट देरी से काम के कारण पूरे
होते हैं।
वहीं दूसरी ओर पैसा देने के बावजूद इस तरह के रवैये के चलते परेशानी बढ़ती ही जा रही है। ठेकेदार संगठन का कहना है कि जो सही मायने में काम कर रहे हैं और ठेकेदार ईमानदारी से आज भी नगर निगम में लगातार सेवाएं दे रहे हैं।
यही कारण है कि अब नाराज ठेकेदार निगम कमिश्नर शिवम वर्मा से मिलकर लेखा विभाग के समय आडिट विभाग की शिकायत करेंगे। वही महापौर से भी मिलने की तैयारी है।
ठेकेदार संगठन के पदाधिकारी का कहना है कि मय सबूत के साथ मिलकर कार्रवाई की मांग करेगें। ठेकेदारों का कहना है कि पैसे देने के बावजूद फाइलों को
अटकने का काम लगातार किया जा रहा है।
यही कारण है कि भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। बिल लगाने से लेकर जीएसटी की राशि तक जुटानी पड़ती जबकि यह तय नहीं रहता है कि बिल का भुगतान आखिर कब होगा? ऐसे में ठेकेदारों को कम करना भी मुश्किल हो रहा है ,जबकि इस तरह की परेशानी को निगम कमिश्नर शिवम वर्मा और महापौर तक भी जानते होंगे, लेकिन ठेकेदार संगठन के पदाधिकारी मिलकर अपनी व्यथा बताएंगे और इस तरह की व्यवस्था निगम में सुधारना भी आवश्यक है।
इस मामले को लेकर काम किया जा रहा है। निगम में कई कार्यो के बिल लंबे समय से पेंडिंग किए हुए हैं जिसको लेकर अब कभी भी गुस्सा उड़ सकता है जबकि नगर निगम में नगरीय एवं प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने करोड़ों रुपए ठेकेदारों व अन्य लोगों को पेमेंट करने के लिए दिए हैं ।
इसके बावजूद भी इस तरह से निगम की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है।

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