उज्जैन में साधु संतों को दी जाएगी स्थाई आश्रम बनाने की अनुमति

उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि उज्जैन में हरिद्वार के तर्ज पर साधु संतों, महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर इत्यादि को स्थाई आश्रम बनाने की अनुमति दी जाएगी। उज्जैन की पहचान साधु संतों से है। 12 वर्षों में एक बार आयोजित होने वाला सिहंस्थ का आयोजन 2028 में किया जाएगा।

साधु संतों को उज्जैन में आने, ठहरने, कथा, भागवत इत्यादि अन्य आयोजन के लिए पर्याप्त रूप से भूमि भू-खंड की आवश्यकता पड़ती है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा साधु -संतों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाए जाने की योजना बनाई गई हैं। निजी होटल्स में साधु संतों और श्रद्धालुओं को इस प्रकार के आयोजनों के लिए चुनौतियां आती हैं। महंगा भी पड़ता है। मुख्यमंत्री डॉ यादव सोमवार को उज्जैन के मेला कार्यालय, उज्जैन के ऑडिटोरियम में सिंहस्थ के संबंध में आयोजित प्रेस-वार्ता को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में सांसद अनिल फिरोजिया,राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ महाराज, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय,महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, संभागायुक्त संजय गुप्ता, आईजी संतोष कुमार सिंह, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा सहित मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु -संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं,उसी प्रकार विकास के क्रम को जारी रखते हुए उज्जैन में भी साधु संतों के स्थायी आश्रम बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से इस बड़ी योजना को आकार दिया जाएगा। सभी साधू-संतो, महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर सभी को आमंत्रित कर उनके स्थायी आश्रम बनाने की दिशा में काम करेंगे।

सिंहस्थ के दृष्टिगत सड़क, बिजली, पेयजल, जल निकासी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्थाई अधोसंरचना का निर्माण किया जाएगा। ताकि अस्थाई निर्माण से होने वाली समस्याएं निर्मित ना हो। हरिद्वार की तरह उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार की गई है। सभी प्रकार के फोरलेन, सिक्सलेन ब्रिज आदि स्थायी अधोसंरचना विकास के कार्य किए जाएंगे। सभी मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ साधु -संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य समानांतर रूप से किए जाएंगे। समाज के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन कार्य को भी प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि उज्जैन सहित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है। समान रूप से विकास से सभी की खुशहाली के द्वार खुलेंगे। सभी देव स्थानों के आसपास हमारे धर्माचार्य आ जाए यह हमारी प्राथमिकता हैं। यादव ने कहा कि साधु -संतों को आश्रम निर्माण के लिए अनुमति इस प्रकार दी जाएगी कि 5 बीघा के एक भूखंड पर ही भवन का निर्माण किया जा सकेगा। शेष 4 बीघा भूखंड खुला रहेगा, जिसमें पार्किंग आदि व्यवस्थाओं के लिए पर्याप्त खुला स्थान रहे। यह अनुमति केवल साधु-संतों ,महंत ,अखाड़ा प्रमुखों,महामंडलेश्वर को ही दी जाएगी। व्यक्तिगत और कमर्शियल उपयोग के लिए इस प्रकार की अनुमति नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि महाकाल महालोक बनने के बाद से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। निरंतर यहां धार्मिक आयोजनों का क्रम जारी रहता है। ऐसे में यह योजना धर्मावलंबियों के लिए बड़ी लाभकारी सिद्ध होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना तैयार की गई है।