भूजल के गिरते स्तर से सरकार चिंता में, पंचायतों के साथ ही सरकारी भवनों में बचाएंगे पानी की बूंदे…वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य

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उज्जैन। उज्जैन जिले में पंचायत भवनों के साथ ही सरकारी भवनों में अब वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। दरअसल सूबे की मोहन सरकार प्रदेश में गिरते भू जल स्तर से चिंता में है और इसके चलते यह फैसला लिया गया है कि जिले के साथ ही पूरे प्रदेश भर में सरकारी ऑफिसों, पंचायत भवनों और सरकारी भवनों में पानी की बूंदे बचाने के लिए वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाए जाएंगे।
अब प्रदेश में सभी सरकारी दफ्तरों और भवनों में वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था अनिवार्य की जा रही है। मुख्य सचिव ने इसके लिए नगरीय विकास, आवास विभाग, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग को रिचार्जिंग सिस्टम शुरू कराने के लिए कहा है। मुख्य सचिव द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में सरकारी भवनों में की जाने वाली वाटर रिचार्जिंग व्यवस्था के लिए नोडल विभाग के रूप में नगरीय विकास और आवास विभाग काम करेगा। इस विभाग की जिम्मेदारी होगी कि वह पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के साथ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के साथ कोआर्डिनेशन कर काम पूरे कराए। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद पंचायत राज संचालनालय ने सभी जिलों के सीईओ जिला पंचायत को पत्र लिखकर इसका क्रियान्वयन कराने के लिए कहा है। यह निर्देश इस व्यवस्था को सीएस मॉनिट में शामिल किए जाने के चलते जारी किए गए हैं।
संचालक पंचायत राज मनोज पुष्प के अनुसार गांवों में बनने वाली सभी शासकीय भवनों की डिजाइन और तकनीकी स्वीकृति में वाटर रिचार्जिंग सिस्टम अनिवार्य रूप से शामिल होगा। इसके लिए नियमानुसार कार्यवाही करने के साथ विभाग की यह भी जिम्मेदारी होगी कि, जहां पहले से शासकीय भवन हैं। वहां वाटर रिचार्जिंग का इंतजाम किया जाए। प्रदेश में 23 हजार दस ग्राम पंचायते हैं। इनमें से जिन पंचायतों में भवन बने हैं। वहां भी और जहां नहीं बने हैं, वहां भी अब भवनों में वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इनमें से हजारों पंचायतें ऐसी भी हैं। जहां पंचायत भवन के साथ सामुदायिक भवन और उप स्वास्थ्य केंद्र भी संचालित हैं। इन सब में भी वाटर रिजार्जिंट सिस्टम की व्यवस्था अब कराई जाएगी। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में सभी 16 नगर निगम, 98 नगरपालिका और नगर परिषदों के वार्डों में और निकाय दफ्तरों में बने सरकारी भवनों में वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाया जाएगा, ताकि बारिश की बूंदों को भूमि जल के रूप में सहेजा जा सके।

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