21 नवंबर को इस वर्ष का आखिरी गुरु पुष्य योग
उज्जैन-इंदौर। यूं गुरु पुष्य योग या नक्षत्र का विशेष महत्व ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है लेकिन इस वर्ष का अंतिम गुरु पुष्य योग 21 नवंबर को बन रहा है और ज्योतिषियों के अनुसार यह योग न केवल पूर्णकालिक होगा बल्कि अत्याधिक फलदायक भी इसे बताया जा रहा है।
ज्योतिषियों ने बताया कि इस योग में रवि योग और अमृत सिद्धि योग का भी संयोग है, जो इसे और भी उत्तम फलकारी बनाते हैं। यह विशेष योग स्थिरता प्रदान करने वाला है और इस दिन पीली धातु, पीले अनाज, पीले वस्त्र, मांगलिक कार्यों के लिए वस्तुएं, धार्मिक सामग्री, पुस्तकें, साहित्य और सामाजिक-धार्मिक कार्यों के लिए संकल्प जैसी चीजें खरीदना शुभ रहेगा। गुरु पुष्य योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। इस शुभ योग में 108 बार किसी भी मंत्र का जाप करने से अमोघ लाभ की प्राप्ति होती है। गुरु पुष्य योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बना है, जो बेहद शुभ है। 27 नक्षत्रों में से 8 वां नक्षत्र पुष्य नक्षत्र जब गुरुवार को उदित होता है तो इस संयोग को गुरु पुष्य योग कहते हैं। इस संयोग को गुरु पुष्य नक्षत्र योग, गुरु पुष्य अमृत योग के नाम से जाना जाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति और स्वामी शनि हैं। इसलिए पुष्य नक्षत्र शनि प्रधान है, लेकिन इसकी प्रकृति गुरु जैसी होती है। यह नक्षत्र खरीदारी और शुभ कार्यों के लिए महामुहूर्त माना जाता है। गुरु बृहस्पति के पूजा के दिन गुरुवार को इस नक्षत्र के उदय से इसका महत्व बढ़ जाता है। इस दिन के चार शुभ योग- गुरु पुष्य योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और शुभ योग, चार गुना फल प्रदान करेंगे। यह दिन भूमि, भवन, सोना, पीतल की मूर्तियां, मंदिर, पूजा की सामग्री की खरीदारी के लिए अत्यधिक लाभकारी रहेगा।