महाकाल की राजसी सवारी आज, 7 किलोमीटर लंबे मार्ग से निकलेगी
– शाम 4 बजे मंदिर से शुरू होगी, चंद्रमौलेश्वर रूप में भक्तों को दर्शन
– इस सवारी का रूट भी श्रावण-भादौ की आखिरी सवारी की तरह रहेगा
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
महाकाल की राजसी सवारी आज सोमवार को ठाठ-बाट के साथ नगर में निकलेगी। सवारी शाम 4 बजे मंदिर से शुरू होगी। यह सवारी भी श्रावण-भादो में निकलने वाली आखिरी सवारी वाले रूट से निकाली जाएगी जो कि 7 किलोमीटर लंबा रहेगा।
भगवान महाकाल चांदी की पालकी में भक्तों को चंद्रमौलेश्वर रूप में दर्शन देंगे। यह कार्तिक-अगहन मास की अंतिम राजसी सवारी है। सवारी से पहले मंदिर के सभा मंडप में पूजन होगा। मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में विराजित भगवान को सलामी देंगे।
सवारी में घोड़े, सशस्त्र जवान, पुलिस
बैंड, भजन मंडलियां शामिल रहेगी
अंतिम सवारी पूरे लाव लश्कर के साथ नगर भ्रमण के लिए रवाना होगी। सवारी में घोड़े, पुलिस का बैंड, भजन मंडलियां, डमरू वादन करते युवा, सशस्त्र जवानों की टुकड़ियां शामिल होगी। सवारी में आगे तोपची धमाके करते हुए चलेगा तो चांदी का ध्वज भी निकलेगा। वहीं आम भक्त भी सवारी के साथ जयकारे लगाते हुए निकलेंगे। पालकी के साथ पंडे-पुजारियों का दल शामिल रहेगा।
रामघाट पर होगा पूजन, सवारी मार्ग में
मंचों से स्वागत में की जाएगी पुष्पवर्षा
सवारी महाकाल मंदिर चौराहे से गुदरी, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा के रामघाट पर पहुंचेगी जहां शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया जाएगा। पूजन के पश्चात सवारी गणगौर दरवाजा, कार्तिकचौक, ढाबारोड, टंकी चौक, तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीगेट, सराफा, छद्धीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार वापस गुदरी होते हुए महाकाल मंदिर पहुंचकर रात में समाप्त होगी। संपूर्ण सवारी मार्ग पर भगवान महाकाल का मंचों से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया जाएगा।