घाटे में जा रही है बिजली कंपनी….लाइन लॉस कम करने पर सरकार का जोर
उज्जैन। सरकारी बिजली कंपनी घाटे में है लेकिन इस घाटे से उबारने के जितने भी प्रयास अभी तक हुए है वह नाकाफी सिद्ध ही रहे है लेकिन एक बार फिर सरकार जिले सहित प्रदेश भर की सरकारी बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने का प्रयास कर रही है और इसके चलते लाइन लॉस कम करने पर जोर दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यदि बिजली कंपनी तीन प्रतिशत लाइन लॉस कम करने में सफल होती है तो उन्हें अतिरिक्त राशि मिलने में परेशानी नहीं होगी। बता दें कि उज्जैन शहर व ग्रामीण इलाकों में लाइन लॉस कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर लगा रही हैं और अंडरग्राउंड केबल भी डाल रही हैं। कंपनियों ने इसके लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता में रखा है, जहां पर सर्वाधिक बिजली चोरी होती है। प्रदेश में कार्यरत तीनों बिजली कंपनियों द्वारा अब तक अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अब तक 5 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। इन उपायों से बिजली कंपनियों के लाइन लॉस में कमी आनी शुरू हो गई है। प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों का मुख्य टारगेट राजस्व संग्रहण को 100 फीसदी तक ले जाना है। इसके लिए बिजली कंपनियों ने बिजली बिलों की वसूली सख्ती शुरू कर दी है। अब बिजली बिल जमा नहीं करने वालों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हो रही है। बिजली उपभोक्ताओं के लाइसेंस निरस्त किए जा रहे हैं और उनके बैंक खातों को भी फ्रीज कराया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप बिजली कंपनियों के बिलों का बकाया कम होने लगा है और कंपनियों के खजाने में राजस्व भी बढऩे लगा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम कर दें, तो कंपनियों को हर साल बिजली का टैरिफ बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बढ़ाने की जगह टैरिफ कम भी किया जा सकता है। इसी को देखते हुए मप्र विद्युत नियामक आयोग ने अब लाइन लॉस कम करने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने साल 2023-24 से 2026-27 तक की गाइड लाइन बिजली कंपनियों के लिए जारी की है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे ज्यादा रहता है। पिछले कई सालों से बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम नहीं कर पा रही है। साल 2022-23 में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 27.39 फीसदी रहा था। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे कम 12.60 फीसदी रहा था। वहीं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 22.91 फीसदी रहा था। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने वितरण कंपनियों को 14 से 16 फीसदी तक लाइन लॉस लाने के निर्देश दिए है। इस लाइन लॉस को कम करने के लिए बिजली कंपनियां तैयारी कर रही है।
भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर लगा रही हैं और अंडरग्राउंड केबल भी डाल रही हैं। कंपनियों ने इसके लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता में रखा है, जहां पर सर्वाधिक बिजली चोरी होती है। प्रदेश में कार्यरत तीनों बिजली कंपनियों द्वारा अब तक अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अब तक 5 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। इन उपायों से बिजली कंपनियों के लाइन लॉस में कमी आनी शुरू हो गई है। प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों का मुख्य टारगेट राजस्व संग्रहण को 100 फीसदी तक ले जाना है। इसके लिए बिजली कंपनियों ने बिजली बिलों की वसूली सख्ती शुरू कर दी है। अब बिजली बिल जमा नहीं करने वालों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हो रही है। बिजली उपभोक्ताओं के लाइसेंस निरस्त किए जा रहे हैं और उनके बैंक खातों को भी फ्रीज कराया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप बिजली कंपनियों के बिलों का बकाया कम होने लगा है और कंपनियों के खजाने में राजस्व भी बढऩे लगा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम कर दें, तो कंपनियों को हर साल बिजली का टैरिफ बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बढ़ाने की जगह टैरिफ कम भी किया जा सकता है। इसी को देखते हुए मप्र विद्युत नियामक आयोग ने अब लाइन लॉस कम करने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने साल 2023-24 से 2026-27 तक की गाइड लाइन बिजली कंपनियों के लिए जारी की है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे ज्यादा रहता है। पिछले कई सालों से बिजली कंपनियां अपना लाइन लॉस कम नहीं कर पा रही है। साल 2022-23 में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 27.39 फीसदी रहा था। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस सबसे कम 12.60 फीसदी रहा था। वहीं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का लाइन लॉस 22.91 फीसदी रहा था। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने वितरण कंपनियों को 14 से 16 फीसदी तक लाइन लॉस लाने के निर्देश दिए है। इस लाइन लॉस को कम करने के लिए बिजली कंपनियां तैयारी कर रही है।