केंद्रीय मंत्री सिंधिया की गतिविधि से भाजपा में हो रही उथल – पुथल
राजनीति में कयासों का दौर हुआ शुरू, तोमर से नाराज सिंधिया
इंदौर। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में आए साढ़े चार वर्ष हो चुके हैं। लॉकडाउन से ठीक पहले उन्होंने 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। उनके दल बदल से कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था।
सिंधिया ने भाजपा में आने के बाद से ही लगातार पार्टी में खुद को सहज करने की भरसक प्रयास किए। उन्होंने संघ के प्रचारकों से भी अपने अच्छे संबंध कर लिए। भाजपा में वह कंफर्टेबल भी हो गए लेकिन पिछले दिनों उन्होंने अपने तेवर दिखने प्रारंभ किए।
खासतौर पर विजयपुर विधानसभा उपचुनाव से उन्होंने दूरी बना ली। यह विधानसभा क्षेत्र ग्वालियर चंबल का हिस्सा है। सूत्रों के अनुसार सिंधिया ने ऐसा नरेंद्र सिंह तोमर के रवैया के चलते किया।
ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच नहीं बनती। लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने रामनिवास रावत का दल बदल बीजेपी में करवा दिया था। इसमें सिंधिया से विचार विमर्श नहीं किया गया।
जबकि रामनिवास रावत सिंधिया के कांग्रेस में रहने के दौरान उनके कट्टर समर्थक थे। खुद रामनिवास रावत ने भी सिंधिया को विश्वास में नहीं लिया। इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया नरेंद्र सिंह तोमर और रामनिवास रावत दोनों से नाराज थे।
नतीजे में उन्होंने विजयपुर से दूरी बनाए रखी। इसका खामियाजा रामनिवास रावत को उठाना पड़ा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के विजयपुर नहीं आने की चर्चा हो ही रही थी कि 2 दिन पूर्व संसद सत्र के दूसरे दिन वो राहुल गांधी के साथ एक अलग ही अंदाज में नजर आए।
दरअसल, संसद भवन में आयोजित हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान कार्यक्रम में सभी दलों के सांसद शामिल हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया।
इस दौरान सेंट्रल हॉल में एक अप्रत्याशित दृश्य देखने को मिला जब राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया आमने-सामने आए। दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और कुछ देर तक आपस में बातचीत की।
इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं और लोगों ने इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाने शुरू कर दिए। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर न तो राहुल गांधी और न ही सिंधिया ने कोई टिप्पणी की है। जब राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया बातचीत कर रहे थे, उस समय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी पास ही खड़े थे।
कई अन्य कांग्रेस नेता भी यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई यह सामने नहीं आया है। कभी घनिष्ठ मित्र माने जाने वाले राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के संबंध 2020 के मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम के बाद बदल गए थे। सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था, जिससे प्रदेश में 15 साल बाद बनी कमलनाथ सरकार गिर गई।
इसके बाद दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़ गई। हालांकि दोनों ही सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे पर निशाना साधते नजर आए।