साइबर तहसील में कुछ पटवारियों की चालाकी, पहले आपत्ति बाद में दे रहे सहमति

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इंदौर। किसानों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने साइबर तहसील के माध्यम से रजिस्ट्री होते ही नामांतरण की सुविधा दी है। कुछ पटवारी ने इसमें भी अपना मतलब निकालते हुए रिपोर्ट में पहले आपत्ति लगाकर आवेदन निरस्त करवा दिया और बाद में दोबारा आवेदन करवा कर अपनी
एक बार निरस्त किए आवेदन की दोबारा सुनवाई कर रहे हैं कई तहसीलदार सहमति देकर नामांतरण करवाने की चालाकी शुरू कर दी है।
तहसीलदार भी नियमों को तक में रखकर अपने द्वारा निरस्त की आवेदनों की दोबारा सुनवाई कर रहे हैं। साधारण नामांतरण आवेदन में लंबे समय तक नहीं लगने वाली पटवारी रिपोर्ट को लेकर कई मामले सामने आ गए हैं।
पटवारी की चालाकी और समय पर रिपोर्ट नहीं देने के साथ ही कुछ मामलों में सामने आई लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साइबर तहसील 2.0 आरंभ कर खसरे का एक हिस्सा भी विक्रय होने पर आनलाइन नामांतरण की प्रक्रिया जोड़ी। किसानों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने नई पहल की किंतु पटवारी इसमें भी चला की बारात रहे हैं जिन मामलों में उनका मतलब हल नहीं होता उनमें रिपोर्ट नहीं देते और आपत्ति लगा रहे हैं।
आपत्ति के कारण आवेदन निरस्त हो जाता है। कुछ पटवारी बाद में सांठगांठ कर नए सिरे से आरसीएमएस पोर्टल के माध्यम से आवेदन दर्ज करवा कर तहसीलदार के माध्यम से अपनी नई रिपोर्ट लगाकर नामांतरण आदेश जारी करवाने में लगे हुए हैं। भू राजस्व संहिता के अनुसार कोई भी अधिकारी अपने स्वयं के निर्णय को बदल नहीं सकता और नहीं निरस्त किए हुए आवेदन पर दोबारा सुनवाई कर सकता है।
कुछ तहसीलदार इस तरह के आवेदन की दोबारा सुनवाई कर अपने ही निरस्त किए गए आदेश के बाद फिर से नामांतरण आदेश करने में लगे हुए हैं।
यह जानकारी उन्हें नहीं हो पाती कि वह पूर्व में इसी मामले में आवेदन निरस्त कर चुके हैं, नियम के अनुसार निरस्त किए गए आवेदन की सुनवाई उनसे उच्च अधिकारी के माध्यम से अपील द्वारा स्वीकृत कर की जाती है। हाल ही में इस तरह का एक मामला सांवेर अनुभाग में सामने आया, जिसमें पटवारी की चालाकी को देखते हुए कलेक्टर ने उसे निलंबित करने के आदेश भी जारी किए हैं।

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