अभी भी छूटे है जिले के कई गांव, जहां अधर में लटकी है जल जीवन मिशन योजना, अब फिर से पानी पहुंचाने की मशक्कत कर रहा है पीएचई

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उज्जैन। उज्जैन जिले के भी कई गांव अभी भी जल जीवन मिशन योजना से अछूते है। इन गांवों में इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। योजना अधर में लटकी होने के कारण संबंधित गांवों के लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है और स्थिति यह है कि दूर दूर से पानी लाकर प्यास बुझाना पड़ती है। हालांकि अब एक बार फिर पीएचई गांवों में इस योजना के तहत पानी पहुंचाने की मशक्कत कर रहा है।

जिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में ही इस मिशन के तहत एक करोड से अधिक घरों में पानी पहुंचाया जाना है। गौरतलब है कि मप्र में जल जीवन मिशन में 51 हजार से ज्यादा गांव शामिल किए गए हैं। इन गांवों में कुल घरों की संख्या एक करोड़ 11 लाख है। अब तक करीब 68 लाख घरों में नल से पानी की सप्लाई हो रही है। जबकि लगभग 43 लाख घर अभी बचे हुए हैं। प्रदेश में जल जीवन मिशन में छूटे 5 हजार गांवों के 7.5 लाख घरों में पानी सप्लाई के लिए राशि प्राप्त करने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग लगातार मशक्कत कर रहा है।  अधिकारियों का कहना है कि सीएस ने छूटे हुए 5 हजार गांवों को जल जीवन मिशन में शामिल किए जाने पर सहमति जताई है। प्रस्ताव में संशोधन कर जल्द ही सीएस के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए फिर से वित्त विभाग को भेजा जाएगा। पीएचई के अधिकारियों का कहना है कि जल जीवन मिशन में प्रदेश के एक-एक गांव के प्रत्येक घर तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन प्रदेश में करीब 5 हजार मजरे-टोलों के 7.50 लाख घर जल जीवन मिशन में शामिल होने से छूट गए। जल जीवन मिशन में प्रदेश के 1.11 करोड़ घरों में नल से पानी पहुंचाया जाना है। इनमें से 68 लाख से ज्यादा घरों में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। यह लक्ष्य का करीब 65 प्रतिशत है। शेष करीब 43 लाख घरों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए काम चल रहा है।

करीब 70 फीसदी काम बंद

दरअसल, केंद्रीय फंड की कमी और पहले से हो चुके काम का भुगतान न होने के कारण यह योजना अटक गई है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना जल जीवन मिशन की रफ्तार प्रदेश में अब मंद पड़ चुकी है। कारण बजट की कमी है। भुगतान नहीं होने से प्रदेश में करीब 70 फीसदी काम बंद हो चुका है। समय रहते राशि जारी नहीं होने पर शेष तीस फीसदी काम भी रूकने की आशंका है। यही वजह है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने राज्य के खजाने से 775 करोड़ रुपए मांगे हैं। मालूम हो, केंद्र सरकार ने दूसरे चरण में 600 करोड़ की पहली किस्त अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में जारी की थी। इससे उम्मीद जगी थी कि अब केंद्र से दूसरी और तीसरी किस्त भी जल्द जारी होगी। मगर ऐसा नहीं हुआ।

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