निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा पौधारोपण का काम -लाखों रुपए खर्च हो जाते है फिर भी कम हो जाती है हरियाली
के नाम पर जिले में लाखों रुपए सरकारी अमला खर्च कर देता है बावजूद इसके हरियाली दिखाई नहीं देती है।
कुल मिलाकर पौधे लगाए तो जाते है लेकिन रखरखाव के अभाव में पौधे या तो सुख जाते है या फिर उन्हें मवेशी निगल जाते है और ऐसे में लाखों खर्च करने के बाद भी पौधे बचते नहीं है। लेकिन अब सरकार ने निजी कंपनियों को पौधरोपण करने का काम सौंपने का निर्णय लिया है।
हर साल पौधा रोपण पर करोड़ों का खर्च मध्य प्रदेश के जंगलों को हरा-भरा रखने के लिए हर साल पौधे लगाए जाते हैं। अगर बीते कुछ वर्षों में पौधारोपण पर खर्च किए को देखें तो साल 2021- 22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं इनके संरक्षण पर 17.98 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। इसी तरह साल 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। पौधारोपण के छह महीने बाद इनकी निगरानी और गणना भी हुई। पौधों की निगरानी तीन साल तक की जाती है। इसके बाद भी हरियाली में वृद्धि नहीं हो पा रही है। दरअसल, प्रदेश में 77492 वर्ग किमी क्षेत्र में वन हैं। इसमें खुला वन क्षेत्र 36619 वर्ग किमी का है। इसके अलावा सामान्य सघन वन 34209 वर्ग किमी का है। वहीं अति सघन वन 6665 वर्ग किमी में है। जंगल में लगातार हो रहे अतिक्रमण की वजह से खुला वन क्षेत्र बढ़ रहा है। वर्ष 2019 में खुला वन क्षेत्र 36465 वर्ग किमी का था, जो अब बढक़र 36619 वर्ग किमी का हो गया है। यानि की 154 वर्ग किमी का खुला वन क्षेत्र बढ़ गया है। इसकी वजह है वन अमले की लापरवाही। इस मामले में वन विभाग कभी भी प्रभावी कार्रवाई करता नजर नहीं आता है। इस खुले वन क्षेत्र को पेड़ों से आच्छादित करने के लिए वन विभाग द्वारा हर साल करोड़ों पौधे लगाने का दावा किया जाता है। वजह यह है अतिक्रमण और अवैध उत्खनन से हर साल पौधारोपण होने के बाद भी खुल वनक्षेत्र बढ़ रहा है।