-जिम्मेदार विभाग की नजरअंदाजी से दर्शक लुटाने पर मजबूर, पीवीआर में मूलभूत सुविधा का अभाव,एमआरपी से अधिक की वसूली

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उज्जैन। नानाखेडा में स्थित ट्रेजर बाजार में जिम्मेदार विभाग की नजरअंदाजी से यहां आने वालों की जेब हल्की करने का काम पीवीआर में हो रहा है।मूलभूत सुविधाओं का अभाव पैदा कर यहां हर सामग्री पर अधिकतम खुदरा मुल्य से अधिक की वसूली की जा रही है। दर्शकों को नियमानुसार मिलने वाली सुविधा का भी यहां अभाव है।

शहर के छबिगृहों के बंद होने के उपरांत पीवीआर का चलन आधुनिकता के साथ आ चुका है। शहर में ट्रेजर बाजार का पीवीआर पिछले कई सालों से संचालित किया जा रहा है। इस पीवीआर में तीन आडी हैं। इसके तहत चलचित्रों का प्रदर्शन किया जाता है। यहां आने वाले दर्शकों को मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। नियमानुसार उनकी पूर्ति पीवीआर संचालक को करना है। इसे लेकर संबंधित जिम्मेदार विभाग की नजरअंदाजी का फायदा उठाते हुए यहां मूलभूत पानी की बिक्री भी अधिकतम खुदरा मुल्य से कई गुना ज्यादा में की जा रही है। इसे लेकर कोई नियंत्रण की स्थिति नहीं है। यहां तक की नियमों के अनुसार पीवीआर से संबंधित शिकायत के लिए जिम्मेदार विभाग के संबंधित अधिकारी का नंबर भी यहां अंकित नहीं है और न ही यहां के कर्मचारी नियंत्रणकर्ता विभाग के अधिकारियों के नंबर ही देने को तैयार रहते हैं। पीवीआर के निरीक्षण की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हैं कि अंतिम बार यहां कब किस अधिकारी ने निरीक्षण किया था।

नगर निगम एवं वाणिज्यकर विभाग हैं नियंत्रणकर्ता-

शहर में संचालित होने वाले छबिगृहों बनाम टाकीजों के समय उनका नियंत्रणकर्ता आबकारी विभाग कभी हुआ करता था। पिछले कुछ सालों में एक्ट में परिवर्तन किया गया। पीवीआर के तहत मनोरंजन का यह काम अब नगर निगम और वाणिज्यकर विभाग के जिम्मेदारी में दिया गया है। इसमें भी नियंत्रण दो भागों में किया गया है। नगर निगम के पास टेक्स वसूली और वाणिज्य कर विभाग के पास पीवीआर से संबंधित दूसरे काम दिए गए हैं। हाल यह हैं कि दोनों ही विभागों की यहां नियंत्रण उपस्थिति को लेकर ही प्रश्नचिन्ह खडे हो रहे हैं।

 

 

-मूलभूत सुविधा सिरे से ही नहीं,मनमानी का नियम और काम

PVR में दर्शकों से लूटपाट की फिलिम

-सुरा के दाम पर बेचा जा रहा पानी,कुर्सियां फटी,टूटी,नियम अपने तईं बना डाले,जिम्मेदार विभाग चिंदी चोरी से नहीं उबर पा रहे

उज्जैन। पीवीआर बनाम दर्शकों से लूटपाट की फिलिम चौथे स्तभं के सेंसर के सामने दर्शकों ने रखी  है। इस फिलिम में लोचा ही लोचा है। इसके नियंत्रणकर्ता विभागों की अनदेखी के चलते यहां दर्शकों को निरीह समझकर मनमाने तरीके से हांका जा रहा है। सीधे तौर पर उन्हें मूलभूत सुविधा से वंचित रखते हुए वही सुविधा मनमाने दाम पर दी जा रही है। बैठने के हाल बूरे हैं और पूरी दर वसूली जा रही है।

 

शहर के नानाखेडा क्षेत्र के ट्रेजर बाजार में तीन आडी हैं। इनमें सेंसर बोर्ड से प्रमाणित फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता है। तय कीमत पर ही यहां टिकिट मिलती है। एकमात्र मल्टीप्लेक्स की मोनोपोली बनाते हुए उसका मनमानी पूर्वक फायदा यहां दर्शकों से उठाया जा रहा है। ट्रेजर बाजार स्थित पीवीआर सिनेमा घर में मनमानी के नियमों को लागू कर आम दर्शकों को उनके पालन के लिए मजबूर किया जाता है। मूलभूत सुविधा भी दर्शकों को नियमानुसार नहीं दी जाती है और दर्शक को अपनी सुविधा का पानी तक यहां नहीं ले जाने दिया जाता है।

तीनों आडी में कई सीटें फटी हुई-

ट्रेजर बाजार में संचालित होने वाले तीनों आडी में सीटों की हालत खराब हो रही है। इसके विपरित पूरी तय दर वसूली जा रही है। कई पुरूषों एवं महिलाओं दर्शकों के वस्त्रों की खराब सीटों के कारण यहां दुर्गति हो चुकी है। शिकायतों को सूनने वाला यहां कोई नहीं है और न ही जिम्मेदार विभाग नगर निगम एवं वाणिज्य कर की और से कोई शिकायत पेटी भी नहीं लगाई गई है। न ही जिम्मेदार अधिकारियों के नंबर ही लगे हुए है। तीन ऑडी में लगभग सभी ओडी में 25-50 सीट फट रही है सीटों की हालत खराब है,जबकि कर्मचारी कहते हैं सीटों का संधारण किया गया है।

 

फायर यंत्र मियाद समाप्ति के-

शहर में नगर निगम की और से फायर आडिट के लिए बाध्यता छोटे-छोटे होटलों पर की जा रही है। इसके विपरित पीवीआर में सैंकडो दर्शक एक साथ जुटते हैं उसके बावजूद यहां नगर निगम के जिम्मेदार फायर की स्थिति में निरीक्षण करने नहीं जाते हैं। दर्शकों के अनुसार यहां अग्निशमन यंत्र मियाद समाप्ति के लगे हुए हैं हादसे की स्थिति में ये मात्र दिखावे के साबित होंगे। ट्रेजर बाजार में लगा मूल अग्निशमन का यंत्र चालू करने की सूचना देने और उसके चालू होने की स्थिति तक तो हादसे में बहुत कुछ बीत चुका होगा। खास तो यह है कि ट्रेजर बाजार का अग्निशमन यंत्र की टेस्टिंग पिछली बार कब की गई थी और यहां आपदा प्रबंधन की माकड्रिल पिछली बार कब की गई थी इसे लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

पानी से लेकर पापकार्न का मनमाना दाम-

पीवीआर के नियमों के अनुसार यहां आप बाहर से पानी नहीं ले जा सकते हैं। पीवीआर के कर्मचारी दर्शकों को अपना पानी नहीं ले जाने देते हैं इसकी अनुमति नहीं है।बाजार में मिलने वाली पानी की 1 लीटर की 20 रूपए की बोतल यहां 50 रूपए तक में बेंची जाती है। अधिकतम खुदरा मुल्य अंकित होने के बावजूद बेखौफ यह कालाबाजारी जारी है। बाहर से खाद्य पदार्थ लेकर जाने नहीं देते और अंदर मुंह मांगे भाव में बेचे जाते हैं। बाजार में मिलने वाली ₹20 की पॉपकॉर्न 200 से ₹400 तक मिलती है। इस मनमानी भाव वसूली पर यहां किसी का खौफ नहीं है। न वाणिज्य कर विभाग के लायसेंस निलंबित करने का न ही किसी विभाग के अधिकतम खुदरा मुल्य से अधिक की वसूली का प्रकरण बनाने की ।

अच्छी सीटें आम दर्शकों को नहीं मिलती-

पीवीआर कर्मचारियों के आलम यह हैं कि आप बुकिंग करें तो खिड़की से टिकट लेने पर टॉकीज फुल बताया जाता है जबकि अंदर अच्छी पोजीशन की सीटों को रोका जाता है। ये सीटें सेटिंग का मजमा जमाती हैं। टिकट काउंटर पर कभी ऑनलाइन पेमेंट नहीं होता तो कभी कोई व्यक्ति नहीं मिलता।

लिफ्ट खराब तो एस्केलेटर भी-

आए दिन यहां की  लिफ्ट खराब रहती है। टॉप फ्लोर पर मौजूद सिनेमा घर कई सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। वृद्धों, महिलाओं और बच्चों को इससे खासी तकलीफ का सामना करना पडता है। विकलांगों की स्थिति में यहां कोई सुविधा नहीं है। पैरों में तकलीफ और घुटनों में दर्द वाले दर्शकों को लेकर भी इनके यहां मूलभूत सुविधा का अभाव बना हुआ है। विकलांग चेयर तक इनके यहां उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। ट्रेजर बाजार का एस्केलेटर आए दिन खराब का नाम लेकर समय बेसमय बंद रहता है। बन्द एस्केलेटर में यहां आने वाले लोगों को खूद ही सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है।

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