हमने ऐसे कई तहसीलदार और पटवारी देखे हैं, ओटीपी चाहिए तो मेरे घर आओ, साइबर क्राइम सुरक्षा को लेकर तहसीलदार और पटवारी हो रहे परेशान

0

 

 

 

इंदौर। कौन है तहसीलदार हम नहीं जानते, ऐसे कई तहसीलदार देखे हैं। यदि ओटीपी चाहिए तो घर आना पड़ेगा, हमारे पास समय नहीं है।
प्रधानमंत्री किसान आधार लिंक और फार्मर रजिस्ट्री में ओटीपी के लिए तहसीलदार को भी इस तरह के जवाब सुनना पड़ रहे हैं।
हमने ऐसे कई तहसीलदार और पटवारी देखे हैं। यह जवाब फोन लगाते ही सुनकर पटवारी और तहसीलदार के होश उड़ जाते हैं, खुद को ठगा महसूस करते हैं और किसी से कुछ कह भी नहीं सकते क्योंकि एक तरफ शासकीय कार्य और दूसरी तरफ साइबर सुरक्षा का सवाल ।
असमंजस की स्थिति में फंसे तहसीलदार-पटवारी चाह कर भी अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं। एक दिन में बड़ी मुश्किल से उन्हें दो या तीन किस मिल पाते हैं और उनका ऑनलाइन एंट्री करने में भी पसीना छूट जाता है, क्योंकि सर्वर और तकनीकी परेशानी के चलते दिन में तो मुश्किल से ही काम होता है, रात के समय जरूर थोड़ी राहत मिलती है किंतु तब किसान मिलना मुश्किल हो जाता है।
जहां एक तरफ पुलिस और प्रशासन लोगों को फोन पर ओटीपी देने से मन कर रहे हैं, वहीं खुद महा अभियान के नाम पर ओटीपी मांग कर उलझते नजर आ रहे हैं।
देश में साइबर ठगी के नए-नए तरीके रोजाना सामने आ रहे हैं। शासन प्रशासन और पुलिस लोगों को जागरूक करने के लिए अलग अलग प्रयास करते आ रहे हैं जिसे लोगों में यह तो समझ आ गई है कि उन्हें फोन पर कोई गलत व्यक्ति अपना जवाब दिखाकर या गलत तरीके से ओटीपी लेकर ठगी कर सकता है।
जमीन यहां पर और भूमि स्वामी कहीं और है उन्हें खोजने भी भी बड़ी मुसीबत बनी हुई है। दबाव के चलते हैं पटवारी अंधेरे में भी काम करने को मजबूर नजर आ रहे हैं।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए फार्मर रजिस्ट्री आधार लिंक और अन्य ऑनलाइन कार्य में किसान से ओटीपी लेना जरूरी है।
मामले में तहसीलदार और पटवारी बताते हैं कि एक किस से लगभग पांच तरह की ओट लेना जरूरी है ऐसी स्थिति में बार-बार फोन लगाकर उन्हें परेशान करना पड़ता है जिससे किसान चिड़कर अपशब्द भी कह देते हैं। जो पहचानते हैं वह तो आसानी से ओटीपी दे देते हैं, किंतु सभी लोग नहीं जानते।
दबाव इतना है कि उन्हें दिन भर काम करने के लिए लैपटॉप के सामने ही बैठे रहना पड़ता है फिर भी काम नहीं हो पाता कई बार तो स्थिति या होती है कि किसान मिलता ही नहीं इंदौर में अधिकांश ऐसे लोग हैं जिन्होंने भूमि यहां खरीद रखी है और वह किसी अन्य राज्य या देश में निवास करते हैं इस स्थिति में उन्हें खोजने भी मुसीबत बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed